Rudraksha Benefits in Hindi: हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को बेहद पवित्र माना गया है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, रुद्राक्ष (Rudraksha) का संबंध भगवान शिव (Lord Shiva) से है. कहा जाता है कि इसे धारण करने से ना सिर्फ शिवजी की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि संकटों के भी छुटकारा मिलता है. इसके अलावा मान्यता यह भी है कि रुद्राक्ष पहनने से कई प्रकार के रोगों से भी मुक्ति मिलती है. रुद्राक्ष (Types of Rudraksha) के कई प्रकार होते हैं. हर रुद्राक्ष का असल-अलग असर होता है. आइए जानते हैं कि किस रुद्राक्ष का क्या महत्व है और उसे धारण करने से क्या लाभ मिलते हैं. आइए जानते हैं एक मुखी रुद्राक्ष से लेकर 7 मुखी रुद्राक्ष के बारे में.
एक मुखी रुद्राक्ष
एक मुखी रुद्राक्ष के दुर्लभ माना जाता है. इसकी उपलब्धता बहुत कम होती है. इसके साथ ही इसकी कीमत भी अधिक होती है. एक मुखी रुद्राक्ष मुख्य तौर पर हृदय संबंधी रोगों को दूर करने में सहायक होता है. यह शरीर में रक्त का प्रवाह सुचारू बनाए रखने में मददगार होता है.
दो मुखी रुद्राक्ष
दो मुखी रुद्राक्ष पेट के रोगों को दूर करने में सहायक सिद्ध होता है. गैस की समस्या और एसिडिटी इत्यादि में दोमुखी रुद्राक्ष असरकारक माना गया है. इसके साथ ही यह तनाव और अवसाद दूर करने में सहायक माना गया है.
तीन मुखी रुद्राक्ष
जिन बच्चों को बार-बार बुखार आता हो उन्हें तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है. लिवर और गाल ब्लेडर की समस्या, तनाव-अवसाद दूर करने में भी तीन मुखी रुद्राक्ष असरकारक है. इस रुद्राक्ष से ब्लड प्रेशर नियंत्रित होता है.
चार मुखी रुद्राक्ष
चार मुखी रुद्राक्ष किडनी की समस्या वालों को धारण करने की सलाह दी जाती है.
पांच मुखी रुद्राक्ष
लिवर और गाल ब्लेडर की बड़ी समस्याओं के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष पहनने के लिए कहा जाता है. कहा जाता है कि यह ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करने में मददगार होता है.
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छह मुखी रुद्राक्ष
आंखों की समस्या और अपच की समस्या से छुटकारा दिलाने में छह मुखी रुद्राक्ष सहायक माना गया है.
सात मुखी रुद्राक्ष
तनाव और अवसाद हो तो सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए कहा जाता है. जो लोग कॉरपोरेट में अपना नाम करना चाहते हैं, लेकिन अत्यधिक तनाव और प्रेशर में काम करने के कारण अपना आउटपुट नहीं दे पाते हैं तो ऐसे में उनके लिए सात मुखी रुद्राक्ष अच्छा माना गया है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)