ज्येष्ठ माह में अंतिम व्रत होगा रवि प्रदोष, खास संयोग में भक्तों को मिलेगी भोलेनाथ की कृपा

Ravi Pradosh Vrat 2025: ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी अंतिम प्रदोष व्रत के दिन कई मंगलकारी और दुर्लभ योगों का निर्माण होने वाला है. इन शुभ योगों में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा हर मनोकामना को पूरी करने वाली हो सकती है.

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रवि प्रदोष व्रत पर खुलेंगे भोलेनाथ के कृपा द्वार.

Ravi Pradosh Vrat 2025: शिव भक्तों के लिए हर माह की त्रयोदशी अत्यंत शुभ होती है. इस दिन शिव भक्त प्रदोष व्रत रखकर भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा करते हैं. मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से भोले भंडारी अत्यंत प्रसन्न होकर भक्तों पर असीम कृपा करते हैं. उनकी कृपा से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण (Pradosh Vrat Karne Se Kya Hota Hai) हो जाती हैं. ज्येष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत 14 मई को रखा जा चुका है और अब दूसरा प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat Kab Hi) जून में रखा जाएगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी अंतिम प्रदोष व्रत के दिन कई मंगलकारी और दुर्लभ योगों का (Ravi Pradosh Vrat Par Yog) निर्माण होने वाला है. इन शुभ योगों में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा हर मनोकामना को पूरी करने वाली हो सकती है. आइए जानते हैं कब रखा जाएगा ज्येष्ठ माह का दूसरा प्रदोष व्रत और उस दिन बनने वाले खास संयोगों का क्या होगा प्रभाव. 

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कब है ज्येष्ठ माह का अंतिम प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat 2025)

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 8 जून रविवार को सुबह 7 बजकर 17 मिनट पर शुरू होकर  9 जून सोमवार को सुबह 9 बजकर 35 मिनट तक रहेगी. प्रदोष व्रत 8 जून रविवार को रखा जाएगा. प्रदोष व्रत के रविवार के दिन होने के कारण यह रवि प्रदोष व्रत होगा. इस दिन प्रदोष काल में शाम 7 बजकर 18 मिनट से 9 बजकर 19 मिनट तक शिव पूजा का मुहूर्त है.

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रवि प्रदोष व्रत बनने वाले खास योग

शिव योग

ज्योतिष के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी अंतिम प्रदोष व्रत पर मंगलकारी शिव योग का संयोग बनने वाला है. 8 जून रविवार को रात 12 बजकर 19 मिनट पर शिव योग शुरू होगा और 9 जून सोमवार को दोपहर 1 बजकर 19 मिनट तक रहेगा. इस शुभ  योग में भोले भंडारी की पूजा हर मनोकामना को पूर्ण करने वाली होगी. 

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शिववास योग

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रवि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव सुबह 7 बजकर 17 मिनट तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे और इसके बाद  नंदी की सवारी करेंगे. ऐसे शुभ काल में भगवान शिव की पूजा करने वालों को जीवन में सभी प्रकार के सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होगी.

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बनेगा विशाखा नक्षत्र का संयोग

इसके अलावा ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर स्वाति और विशाखा नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है. इस दिन खास बव, बालव और तैतिल करण के योग भी बन रहे हैं. इन योगों में भगवान शिव की पूजा अत्यंत फलदाई होती हैं.  

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प्रदोष व्रत पर जरूर करें ये काम

रवि प्रदोष व्रत के दिन बन रहे खास योगों में भोलेनाथ की पूजा करने वालों की सभी मनकामनाएं पूरी हो सकती हैं. इसके लिए व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करना जरूरी है.  पूजा के लिए शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद और बेलपत्र चढ़ाएं और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें और प्रदोष व्रत की कथा सुननी चाहिए.

प्रस्तुति: रोहित कुमार

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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