रामनवमी, कामदा एकादशी और सोम प्रदोष व्रत पड़ रहे हैं इस दिन, जानिए व्रत की तारीख और पारण का समय 

Ram Navami Date: चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि पर रामनवमी मनाई जाती है. इसके पश्चात भी कुछ व्रत पड़ रहे हैं जिनमें कामदा एकादशी और सोम प्रदोष व्रत शामिल हैं. 

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Kamada Ekadashi Date: जानिए रामनवमी के बाद पड़ रहे हैं कौन-कौनसे व्रत. 

Som Pradosh Vrat: नवरात्रि के नौवे दिन नवमी मनाई जाती है. नवमी पर मान्यतानुसार घर में कन्याओं को कंजक खिलाई जाती है और कन्यापूजन होता है. इसी दिन रामनवमी (Ram Navami) भी मनाते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि पर ही श्रीराम ने जन्म लिया था. इस वर्ष 30 मार्च, गुरुवार के दिन रामनवमी मनाई जानी है. रामनमवी के बाद ही कामदा एकादशी व्रत और सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) रखा जाएगा. यहां जानिए इन व्रतों की तिथि और व्रत पारण का समय. 

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रामनवमी का शुभ मुहूर्त 

30 मार्च गुरुवार रात 11 बजकर 30 मिनट तक महानवमी और रामनवमी मनाई जाएगी. वहीं, रामनवमी व्रत (Ram Navami Vrat) का पारण अगले दिन दशमी तिथि पर होगा. रामनवमी व्रत पारण का 31 मार्च चैत्र शुक्ल दशमी तिथि पर रात 1 बजकर 57 मिनट तक कभी भी किया जा सकता है. 
श्रीराम भक्त इस दिन विशेष पूजा-पाठ में दिन व्यतीत करते हैं. श्रीराम की आरती गाई जाती है, भजन सुने जाते हैं और मंदिरों में दर्शन करने भी जाया जाता है. 

कामदा एकादशी का शुभ मुहूर्त 

इस वर्ष 1 अप्रेल, शनिवार के दिन कामदा एकादशी मनाई जाएगी. कामदा एकादशी (Kamada Ekadashi) पर इस दिन शाम 4 बजकर 20 मिनट तक रहेगी. व्रत का पारण अगले दिन 2 अप्रेल, शनिवार सुबह 4 बजकर 20 मिनट तक किया जा सकता है. 

कामदा एकादशी पर मान्यतानुसार श्रीहरि की पूजा होती है.  माना जाता है कि भगवान विष्णु की पूरे श्रद्धाभाव से पूजा करने पर मोक्ष प्राप्ति होती है. इस चलते भक्त भगवान विष्णु के लिए कामदा एकादशी पर व्रत रखते हैं. 

सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त 

3 अप्रेल सोमवार के दिन प्रदोष व्रत रखा जाएगा. सोमवार के दिन पड़ने के चलते इसे सोम प्रदोष व्रत कहते हैं. अगले दिन ही सोम प्रदोष व्रत का पारण किया जा सकेगा. प्रदोष व्रत में मान्यतानुसार भगवान शिव (Lord Shiva) की आराधना की जाती है. देवों के देव महादेव की प्रदोष व्रत में पूजा करने से भोलेनाथ सभी मनोकामनाएं सुनते हैं और मान्यतानुसार भक्तों के जीवन में खुशहाली लाते हैं. सोम प्रदोष व्रत की पूजा के लिए सुबह उठकर व्रत का प्रण लिया जाता है. इसके पश्चात शिव पूजा की जाती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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