राखी बांधते समय इस एक मंत्र को ही पढ़ा जाता है, राजा बलि से है खास संबंध, जानिए कौनसा है यह Rakhi Mantra

Rakhi Mantra: रक्षाबंधन पर भाई की कलाई पर राखी बांधते हुए एक खास मंत्र पढ़ा जाता है. इस मंत्र को पढ़कर ही राखी का त्योहार पूरा होता है.

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Raksha Bandhan Mantra: राखी बांधते हुए इस मंत्र को पढ़ा जाता है.

Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन पर बहनें जब भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं यानी राखी बांधती हैं तो उस समय एक खास मंत्र पढ़ा जाता है. इस मंत्र  (Rakhi Mantra) को बेहद शुभ माना जाता है और कहते हैं इस मंत्र को पढ़े बिना रक्षाबंधन का त्योहार अधूरा होता है. इस मंत्र का राजा बलि (Raja Bali) से भी खास संबंध है. यह संबंध उस पौराणिक कथा के चलते है जिसमें मां लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधी थी. कहते हैं बहनों को भाई की कलाई पर राखी बांधते हुए इस मंत्र को जरूर पढ़ना चाहिए. जानिए कौनसा है यह मंत्र, क्या है इसका राजा बलि से संबंध और महत्व.

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रक्षाबंधन पर पढ़ा जाता है यह मंत्र | Rakhi Mantra | Raksha Bandhan Mantra

येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।

इस मंत्र का अर्थ है कि दानवीर राजा बलि जिसे बांधे गए थे, उसे से तुम्हें बांध रही हूं. रक्षासूत्र, तुम चलायमान न हो.

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इस मंत्र से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, राजा बलि की भक्ति से प्रसन्न होकर श्री हरि बैकुंठ छोड़कर राजा बलि के साथ ही पाताल लोक में निवास करने लगे थे. इससे मां लक्ष्मी निराश हो गईं और एक दिन दुखी बुढ़िया का भेस लेकर राजा बलि के यहां पहुंची. राजा बलि ने इस बुढ़िया को दुखी देखकर कारण पूछा जिसपर बुढ़िया ने बताया कि उसका कोई भाई नहीं है और इसीलिए वह दुखी है. यह सुनकर राजा बलि ने उससे कहा कि अब से वे उसके भाई हैं.

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बुढ़िया ने राजा बलि की कलाई पर रक्षासूत्र बांध दिया. इसके बाद राजा बलि बोले कि मैं अपनी बहन को कोई उपहार देना चाहता हूं तो इसपर बुढ़िया ने कहा कि उसके पति उसे छोड़कर चले गए हैं. वे चाहती हैं कि पति वापस लौट आएं. राजा बलि बोले कि कि कौन हैं आपके पति, मैं उन्हें वापस लाउंगा.

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मां लक्ष्मी यह सुनकर अपने वास्तविक रूप में आ गईं. उन्होंने राजा बलि को बताया कि उनके पति भगवान विष्णु हैं और उनके बिना बैकुंठ सूना हो गया है. इसके बाद राजा बलि ने भगवान विष्णु से वापस लौट जाने का आग्रह किया. इस तरह बहन की इच्छा पूरी हुई. इस कथा से ही निकला रक्षाबंधन का मंत्र - 'येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।'

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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