Raksha Bandhan 2021: जानिए क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन और क्या हैं इस पर्व से जुड़ी पौराण‍िक कथाएं

Raksha Bandhan : क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों या किस कारण से रक्षाबंधन मनाया जाने लगा और इस दिन का क्या महत्व है. दरअसल, हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रक्षाबंधन मनाने के पीछे कुछ कथाएं हैं. आईए जानते हैं रक्षाबंधन से जुड़ी कथाओं के बारे में.

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युद्ध में जाने से पहले राजा-सैनिकों की पत्नियां और बहने उन्हें रक्षा सूत्र बांधा करती थी.
नई दिल्‍ली:

Raksha Bandhan 2021 : भाई-बहन के प्यार और विश्वास से सजा रक्षाबंधन कुछ दिनों में आने वाला है. इस त्योहार के आने से पहले ही इसकी खुशी हर भाई-बहन के चेहरे पर साफ नजर आने लगती है. इस दिन बहनें अपने प्यारे भाई को टीका करती हैं और उसकी कलाई पर राखी बांधती हैं. वहीं, भाई अपनी बहनों को उनकी रक्षा का वचन और उपहार देते हैं. इस दिन हर तरफ खुशनुमा माहौल रहता हैं. ऐसे ही हम खुशी के साथ सालों से श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाते आ रहे हैं, लेकिन क्या आप ये जानते है कि आखिर क्यों या किस कारण से रक्षाबंधन मनाया जाने लगा और इस दिन का क्या महत्व है. दरअसल, हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रक्षाबंधन मनाने के पीछे कुछ कथाएं हैं. आईए जानते हैं रक्षाबंधन से जुड़ी कथाओं के बारे में...

Photo Credit: प्रतीकात्‍मक फोटो

लक्ष्मी-राजा बलि की कथा
कथा भगवान विष्णु के वामन अवतार से जुड़ी है. भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर असुरों के राजा बलि से तीन पग भूमि का दान मांगा. दानवीर बलि इसके लिए सहज राजी हो गया. वामन ने पहले ही पग में धरती नाप ली तो बलि समझ गया कि ये वामन स्वयं भगवान विष्णु ही हैं. बलि ने विनय से भगवान विष्णु को प्रणाम किया और अगला पग रखने के लिए अपने शीश को प्रस्तुत किया. विष्णु भगवान बलि पर प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा. असुर राज बलि ने वरदान में उनसे अपने द्वार पर ही खड़े रहने का वर मांग लिया. इस प्रकार भगवान विष्णु अपने ही वरदान में फंस गए. तब माता लक्ष्मी ने नारद मुनि की सलाह पर असुर राज बलि को राखी बांधी और उपहार के रूप में भगवान विष्णु को मांग लिया.  

Photo Credit: insta hail_lord_vishnu_god

द्रौपदी- श्रीकृष्ण की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत में शिशुपाल के साथ युद्ध के दौरान श्री कृष्ण जी की तर्जनी उंगली कट गई थी. यह देखते ही द्रोपदी कृष्ण जी के पास दौड़कर पहुंची और अपनी साड़ी से एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर पट्टी बांध दी. इस दिन श्रावण पूर्णिमा थी. इसके बदले में कृष्ण जी ने चीर हरण के समय द्रोपदी की रक्षा की थी.
 

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भविष्य पुराण की कथा
भविष्य पुराण के अनुसार सालों से असुरों के राजा बलि के साथ इंद्र देव का युद्ध चल रहा था. इसका समाधान मांगने इंद्र की पत्नी सची विष्णु जी के पास गई, तब विष्णु जी ने उन्हें एक धागा अपने पति इंद्र की कलाई पर बांधने के लिए दिया. सची के ऐसा करते ही इंद्र देव सालों से चल रहे युद्ध को जीत गए. इसलिए ही पुराने समय में भी युद्ध में जाने से पहले राजा-सैनिकों की पत्नियां और बहने उन्हें रक्षा सूत्र बांधा करती थी, जिससे वो सकुशल जीत कर लौट आएं.
 

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रक्षाबंधन का महत्व
इन कथाओं के माध्यम से ये पता चलता है कि रक्षाबंधन पर कलाई पर राखी या रक्षासूत्र बांधने जाने के साथ ही उसके बदले में मांगे और दिये जाने वाले वचन का बहुत महत्व होता है. इसलिए इस दिन हर बहन अपने भाई को राखी बांधती हैं और भाई उसकी हिफाजत का वचन देता है. बहन भाई की कुशलता और सफलता की कामना करती है. ये वचन और भावना ही रक्षाबंधन के त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण भाग है. क्योंकि प्रेम और विश्वास का यही बंधन भाई और बहन के रिश्ते के स्नेह की डोर अर्थात् राखी होती है.

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