मंदिर में और सत्संग सुनते समय क्यों आने लगता है आंखों में आंसू, जानिए इसके पीछे की रोचक वजह

कई बार आपने महसूस किया होगा की मंदिर में घुसते ही आपके रोएं खड़े हो जाते हैं, अकाराण रोने का मन करता है या फिर सत्संग सुनते समय आंखों में आंसू आने लगते हैं. आखिर ऐसा क्यों होता है क्या आपने इसके बारे में कभी सोचा है...आइए जानते हैं आर्टिकल में इसकी वजह..

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आपको बता दें कि पवित्र स्थान पर बिना किसी कारण के रोना आना हमेशा भाव नहीं होता है.

Satsang sunte samay kyun aa jate hain ansu : हिन्दू धर्म में पूजा पाठ का विशेष महत्व होता है. लगभग हर घर में दिन की शुरूआत पूजा पाठ और भजन कीर्तन से होता है. क्योंकि भगवान की भक्ति से जुड़े रहना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे आपको मानसिक शांति मिलती है. साथ ही पूजा पाठ भगवान से जुड़े रहने का एक माध्यम भी है. कई बार आपने महसूस किया होगा की मंदिर में घुसते ही आपके रोएं खड़े हो जाते हैं, अकाराण रोने का मन करता है या फिर सत्संग सुनते समय आंखों में आंसू आने लगते हैं. आखिर ऐसा क्यों होता है क्या आपने इसके बारे में कभी सोचा है...आइए जानते हैं इस आर्टिकल में इसका रहस्य...

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आखिर क्यों आता है रोना मंदिर और सत्संग में

दरअसल, इस बारे में हाल ही में इंस्टाग्राम पेज सूत जी बोले (sootjiboley) पर सत्संग और मंदिर में रोने को लेकर एक वीडियो साझा किया है जिसमें बताया गया है कि पवित्र स्थान पर बिना किसी कारण के रोना आना हमेशा भाव नहीं होता है. कभी-कभी, आपका शरीर ऐसी जगह पर प्रतिक्रिया करता है जहां ऊर्जा आपसे कहीं ज़्यादा शुद्ध और संरेखित होती है. आपको बता दें कि इस तरह का एहसास होना आपकी आंतरिक ऊर्जा और स्थान के दिव्य संरेखण के बीच एक तरह का टकराव होता है. 

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जब हमारे अंदर की ऊर्जा ब्रह्मांड की ऊर्जा के साथ मेल नहीं खाती है और हम उसके संपर्क में आते हैं तो एक तरह की उत्तेजना महसूस होती है, जो अच्छी और खराब दोनों तरह की हो सकती है. 

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जैसे आपने लोगों को कहते सुना होगा कि यार मुझे इस जगह की एनर्जी अच्छी नहीं लगी, तो इसका मतलब ये हो सकता है कि आपके अंदर बहुत शांति है और उस जगह की ऊर्जा अशांत है. ऐसे ही आप हो सकता है किसी मंदिर में गए और आपको रोना आ गया, हाथ पैर सुन्न हो गए, इसका मतलब आप अंदर से अशांत हैं. उस जगह की ऊर्जा आपसे मेल नहीं खा रही है जिसके कारण आप भावुक हो जाते हैं और कभी-कभी कान गरम हो जाता है.

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आपको बता दें कि अपनी आंतरिक ऊर्जा को सही मार्ग देने के लिए योग करना बहुत जरूरी है. इसके लिए आपको आंख बंद करके बैठना जरूरी नहीं है, बल्कि अपनी अंदर की ऊर्जा को ब्राह्मांड की ऊर्जा से मैच करने के लिए कला का माध्यम भी चुन सकते हैं, जैसे गायन, नृत्य, पेंटिंग, क्राफ्टिंग आदि. यह सारी चीजें आपको आंतरिक ऊर्जा को शुद्ध करने में मदद करेंगी.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


 

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