प्रेमानंद महाराज के अनुसार प्याज और लहसुन खाने वालों को इस तरह करनी चाहिए लड्डू गोपाल की सेवा

Laddu Gopal Seva: अगर आप भी प्याज और लहसुन का सेवन करते हैं तो यहां जानिए किस तरह लड्डू गोपाल की पूजा की जा सकती है. प्रेमानंद महाराज ने दी यह सलाह.

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Premanand Ji Maharaj ने बताया लड्डू गोपाल की पूजा कैसे करें. 

Laddu Gopal Puja: सोशल मीडिया पर अक्सर ही स्वामी प्रेमानंद महाराज के वीडियो वायरल होते रहते हैं. प्रेमानंद महाराज वृंदावन में रहते हैं और महाराज के प्रवचन सुनने दूर-दूर से लोग आते हैं. भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) और राधा-रानी के भक्त प्रेमानंद महाराज से शिक्षा लेने और उनका आशीर्वाद लेने आते हैं. भक्त प्रेमानंद जी महाराज से अपनी समस्याएं भी कहते हैं और महाराज उनके प्रश्नों का उत्तर देते हैं, उनकी समस्याओं का निवारण भी करते हैं. लड्डू गोपाल श्रीकृष्ण के बाल रूप को कहा जाता है. ऐसे में लड्डू गोपाल के भक्त अक्सर यह सवाल करते हैं कि क्या लहसुन और प्याज खाने वाले लड्डू गोपाल की सेवा कर सकते हैं या नहीं और अगर कर सकते हैं तो यह कैसे करें. इस सवाल का जवाब प्रेमानंद महाराज ने दिया है. 

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प्याज-लहसुन खाने वाले कैसे करें लड्डू गोपाल की सेवा 

प्रेमानंद महाराज का कहना है कि लड्डू गोपाल की सेवा बिल्कुल बच्चों की तरह करनी चाहिए. जहां तक बात प्याज और लहसुन की आती है तो यह दोनों ही तमोगुणी हैं और इसीलिए साधू-संतों ने इसे निषेध किया हुआ है. हालांकि, महाराज का कहना है कि प्याज का सेवन पाप नहीं है. लेकिन, यह भजन में विघ्न होता है. ठाकुर जी को जो भोग लगाया जा रहा है उसे बिना प्याज और लहसुन के बनाया जाना चाहिए. घर में जब भोजन बनता है तो लड्डू गोपाल के लिए बिना प्याज और लहसुन वाला भोजन निकालकर अलग रख देना चाहिए. ठाकुर जी को उसी रोटी का भोग (Bhog) लगाया जा सकता है जो सबके लिए बन रही है. 

इन बातों का रखें ध्यान 
  • प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि लड्डू गोपाल जी की पूजा में इस भाव को जरूर रखें कि वे लड्डू गोपाल ही नहीं बल्कि पूरे जगत के स्वामी भी हैं. 
  • यह कभी ना कहें कि मेरे ऊपर लड्डू गोपाल या ठाकुर जी की कृपा है. इस तरह की बातों को छुपाया जाता है बताया नहीं जाता. 
  • अपने प्रभु के संबंध की बात, उनके दुलार की बात छपाना नहीं छिपाना है. ठाकुर जी का स्नान करना, श्रृंगार करना और भोग लगाना सभी को दिखाना नहीं चाहिए. इन चीजों को छिपाना चाहिए. 
  • भक्ति को जताना नहीं चाहिए इससे अहंकार पुष्ट होता है. शांत और एकांत भाव से भक्ति करनी चाहिए. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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