Pradosh Vrat 2025: भगवान शिव को महाकाल, महादेव, कालों के काल आदि नामों से भी जाना जाता है. महादेव के सनातन धर्म में बड़ी संख्या में भक्त हैं जो सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करते हैं और उन्हें प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद लेने के लिए कई व्रत करते हैं. ऐसा ही एक व्रत है प्रदोष व्रत. प्रदोष व्रत देवों के देव महादेव को समर्पित किया गया है जो हर माह की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है. नए साल के पहले शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) को विशेष बताया गया है. आइए जानते हैं नए साल में जनवरी में पहला प्रदोष व्रत किस दिन रखा जाएगा और किस तरह भगवान शिव की पूजा संपन्न की जा सकेगी.
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जनवरी में पहला प्रदोष व्रत कब | First Pradosh Vrat Date In January
साल 2025 में पहला प्रदोष व्रत 11 जनवरी, शनिवार को पड़ रहा है. शनिवार के दिन पड़ने के कारण इस व्रत को शनि प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है.
हिंदू कैलेंडर के अनुसार पहले शनि प्रदोष की तिथि यानी कि त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ 11 जनवरी 2025 को सुबह 8 बजकर 21 मिनट से होगा जिसका समापन अगले दिन यानी कि 12 जनवरी, रविवार को सुबह 6 बजकर 33 मिनट पर हो जाएगा.
शुभ मुहूर्त - उत्तम: सुबह 8 बजकर 34 मिनट से 9 बजकर 52 मिनट तक.
लाभ - उन्नति: दोपहर 1 बजकर 48 मिनट से 3 बजकर 6 मिनट तक रहेगा.
अमृत - सर्वोत्तम: दोपहर 3 बजकर 6 मिनट से शाम 4 बजकर 25 मिनट तक रहेगा.
लाभ - उन्नति: शाम 5 बजकर 43 मिनट से 7 बजकर 25 मिनट तक रहेगा.
सनातन धर्म में किसी भी व्रत को तब तक पूरा नहीं माना जाता जब तक उसका पारण ना हो. किसी भी व्रत का पारण दूसरे दिन करने का नियम है. आप शनि प्रदोष व्रत का पारण अगली सुबह 12 जनवरी को सूर्य उदय के बाद कर सकते हैं. अगले दिन यानी 12 जनवरी को सूर्य उदय का समय 7 बजकर 14 मिनट माना जा रहा है. आप 7 बजकर 14 मिनट पर शनि प्रदोष व्रत का पारण कर अपने व्रत को पूरा कर सकते हैं.
- सबसे पहले शनि प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छता का ध्यान रखें. अब हाथ में जल लेकर व्रत और पूजा का संकल्प लें. मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें.
- पूजा की शुरुआत गंगाजल से अभिषेक करने से करें. गंगाजल शिवलिंग पर अर्पित करना शुभ होता है और ऐसा करने पर भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है.
- अब शिवलिंग (Shivling) पर अक्षत, बेलपत्र, भांग, धतूरा, चंदन, फूल, नैवेद्य, धूप और दीप अर्पित करें. इन सभी चीजों को समर्पित करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
- पूजा में भगवान शिव का पंचाक्षर मंत्र "ॐ नम: शिवाय" मंत्र का जप करें. यह मंत्र भगवान शिव की आराधना का महत्वपूर्ण हिस्सा है.
- इस दिन शिव चालीसा का पाठ करना विशेष लाभकारी होता है.
- पूजा के अंत में कपूर, घी के दीपक से भगवान शिव की आरती करें और भोलेनाथ का आशीर्वाद ग्रहण करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)