Baba Baidyanath Dham: PM मोदी ने की बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर में पूजा-अर्चना, जानें पंचशूल में छिपा रहस्य!

Baba Baidyanath Dham: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 जुलाई को बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना की. इस मंदिर के शिखर पर स्थापित पंचशूल रहस्यों के भरा है.

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Baba Baidyanath Dham: बाबा बैद्यनाथ मंदिर के शिखर पर स्थापित पंचशूल रहस्यमयी बताया जाता है.

Baba Baidyanath Dham Panchshul: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 जुलाई झारखंड को के देवघर में बाबा बैद्यनाथ मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना की. इस दौरान विशेष पंडितों द्वारा रुद्राष्टअध्यायी के मंत्रों से शिव जी का पूजन कराया गया है. देवघर में स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है. साथ ही यह शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि स्वयं ब्रह्मा जी ने इस मंदिर का निर्माण किया था. बाबा बैद्यनाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग को कामना लिंग कहा जाता है. मान्यता यह भी है कि जो भक्त यहां पूजा-अर्चना करते हैं, उनकी मनोकामना पूरी होती है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, बाबा बैद्यनाथ मंदिर एक ऐसा मंदिर है, जहां मंदिर के शीर्ष पर त्रिशूल के स्थान पर पंचशूल (Panchshul) लगा है. कहा जाता है कि यह पंचशूल (Panchshul) रहस्यमयी है. आइए जानते हैं बाबा बैद्यनाथ मंदिर के पंचशूल में छिपा रहस्य क्या है. 

मंदिर के शीर्ष पर स्थापित है पंचशूल | Panchshul is installed at the top of the temple

बाबा बैद्यनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से 9वां ज्योतिर्लिंग है. आमतौर पर किसी भी शिव मंदिर में शीर्ष पर एक त्रिशूल लगा होता है. लेकिन बैद्यनाथ मंदिर ही देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां शीर्ष पर त्रिशूल की जगह पंचशूल (Panchshul) लगा है. इसके साथ ही बैद्यनाथ मंदिर (Baidyanath Mandir) परिसर में स्थित अन्य मंदिरों के ऊपर पंचशूल लगे हैं. पौराणिक मान्यता है कि बाबा बैद्यनाथ मंदिर (Baba Baidyanath Mandir) के शिखर पर स्थित पंचशूल एक प्रकार का सुरक्षा कवच है. इसे महाशिवरात्रि के दो दिन पहले उतारा जाता है और महाशिवरात्रि के दिन इसकी विधिवत पूजा की जाती है. इसके बाद वापस मंदिर के शिखर पर स्थापित किया जाता है. इस दौरान मां पर्वती और शिवजी के गठबंधन सूत्र को भी हटाया जाता है और उसकी जगह नया गठबंधन सूत्र लगाय जाता है.


ये हैं पंचशूल को लेकर मान्यताएं | beliefs about Panchshul

 
बाबा बैद्यनाथ मंदिर (Baba Baidyanath) के शीर्ष पर स्थापित पंचशूल (Panchshul) को लेकर धार्मिक मान्यताएं है. कहा जाता है कि त्रेतायुग में रावण (Ravana) की लंकापुरी के प्रवेश द्वार पर पंचशूल लगा था. जिसे भेदने की कला सिर्फ रावण के पास ही थी. भगवान श्रीराम (Shri Ram) के लिए पंचशूल को भेद पाना असंभव जैसा था. लेकिन विभीषण ने जब पंचशूल के रहस्य का उजागर किया तो भगवान श्रीराम उस पंचशूल को भेद कर अपनी सेना के साथ लंका में प्रवेश कर गए. धार्मिक मान्यता है कि पंचशूल की वजह से ही बैद्यनाथ मंदिर में आज तक कोई प्राकृतिक आपदा नहीं आई है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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