Sarva Pitru Amavasya 2022 Date and Time: पितृ पक्ष अब समाप्ति की ओर है. पंचांग के मुताबिक आज 21 सितंबर को आश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी यानी इंदिरा एकदशी है. साथ ही आज श्राद्ध पक्ष का एकादशी श्राद्ध है. पितृ पक्ष का आखिरी श्राद्ध 25 सितंबर को होगा. इस दिन आश्विन मास की अमावस्या का खास संयोग बन रहा है. दरअसल इस अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या भी कहते हैं. हिंदू धर्म में इस दिन का खास महत्व होता है. इस दिन पितरों की विदाई की जाती है. इसके साथ ही इस दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु की तारीख मालूम नहीं होता है. इसके अलावा अगर कोई पितर पक्ष में श्राद्ध करना भूल गया है तो वह इस दिन अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध कर सकता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध करने से कई गुणा अधिक पुण्य प्राप्त होता है.
सर्वपितृ अमावस्या डेट और टाइम | Sarva Pitru Amavasya Date and Time
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की अमावस्या सर्वपितृ अमावस्या कहलाती है. पितृ पक्ष की सर्वपितृ अमावस्या का खास संयोग 25 सितंबर को बन रहा है. अमावस्या तिथि की शुरुआत दोपहर 3 ब़जकर 12 मिनट से हो रही है. वहीं अमावस्या तिथि की समाप्ति 26 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 24 मिनट पर होगी. उदया तिथि की मान्यता के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या 25 सितंबर को पूरे दिन मनाई जाएगी. लोग पूरे दिन श्राद्ध, पार्वण, पिंडदान, तर्पण और दान इत्यादि कर्म कर सकते हैं.
सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध विधि | Sarva Pitru Amavasya Shadh Vidhi
मान्याता के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या के दिन खीर-पूड़ी का भोजन तौयार किया जाता है. इस पार्वण, तर्पण और पिंडदान करने के बाद पंचबली भोग निकाला जाता है. जिसमें कुत्ता, कौआ, चींटी, गाय और देव के निमित्त भोजन का अंश निकाला जाता है. पंचबली भोग लगाने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है. उसके बाद उन्हें दान-दक्षिणा देकर विदा किया जाता है. ब्रह्मणों को विदा करने के बाद भी घर के अन्य सदस्यों को भोजन करना चाहिए.
सर्वपितृ अमावस्या के उपाय | Sarva Pitru Amavasya ke Upay
सर्वपितृ अमावस्या के दिन किसी बर्तन में जल, दूध, काला तिल, शहद और जौ मिलाकर पीपल के पेड़ में चढ़ाएं. ऐसा करने के बाद वहां सफेद मिठाई, एक नारियल, कुछ सिक्के और जनेऊ भी अर्पित करें. मान्यता है कि ऐसा करने से पितर देव अति प्रसन्न होते हैं. इसके बाद “ॐ सर्वपितृ देवताभ्यो नमः” मंत्र का जाप करते हुए पीपल की परिक्रमा करें. साथ ही मन ही मन पितृ देव से प्रर्थना करें.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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