Shradh 2022: पितृ पक्ष के तृतीया-चतुर्थी का श्राद्ध आज, जानें विधि और तर्पण का समय

Shradh 2022: पितृ पक्ष के दिन पूर्वजों को समर्पित हैं. इस साल तृतीया और चतुर्थी का श्राद्ध 13 सितंबर को यानी आज किया जा रहा है.

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Shradh 2022: तृतीया और चतुर्थी का श्राद्ध कल किया जाएगा.

Pitru Paksha 2022 tritiya and chaturthi shradh 2022: पूर्वजों के लिए समर्पित पितृ पक्ष का 10 सितंबर से शुरू हो चुका है. इस बार पितृ 16 दिन का है जो कि 25 सितंबर के समाप्त होगा. हिंदू पंचाग के अनुसार इस बार तृतीया और चतुर्थी का श्राद्ध एक ही दिन 13 सितंबर को यानी आज किया जाएगा. इस दिन पूर्वजों के लिए तर्पण और श्राद्ध किए जाएंगे. पूरे साल में पितृ पक्ष ही एक ऐसा अवसर होता है जब पूर्वजों के प्रति तर्पिण, पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है. आइए जानते हैं पितृ पक्ष का पितृ पक्ष का तृतीय और चतुर्थी के श्राद्ध की विधि और 

क्यों और कितनी पीढ़यों का किया जाता है श्राद्ध 

पौराणिक मान्यता के अनुसार, पूर्वजों के मृत्यु के बरसी तक श्राद्ध कर्म नहीं किए जाते हैं.  उसके बाद श्राद्ध कर्म करके पूर्वजों के प्रति आस्था व्यक्त की जाती है. मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितर हमारे घर के द्वार तक आते हैं. पितृ पक्ष में श्राद्धि कर्म सिर्फि तीन पीढ़ियों तक का ही किया जाता है. जिसमें मातृकुल और पितृकुल (नाना और दादा) दोनों ही शामिल हैं. तीन पीढ़ियों से अधिक का श्राद्ध कर्म  नहीं किया जाता है. हालांकि ज्ञात-अज्ञात के नाम का श्राद्ध कर्म जरूर करना चाहिए. 

श्राद्ध की विधि | Shradh Vidhi

धर्म ग्रथों के मुताबिक श्राद्ध किसी भी रूप में किया जा सकता है. ऐसे में आप तर्पण, दान, भोजन, भावांजलि, तिलांजलि इत्यादि से भी श्राद्ध कर सकते हैं. पितरों के निमित भोजन निकालने से पूर्व गाय, कौआ और कुत्ते का अंश निकाला जाता है. मान्यतानुसार, ये तीनों यम के प्रतीक हैं. 

श्राद्ध की संक्षिप्त विधि | Short method of Shradh

अगर किसी वजह से विस्तृत रूप से श्राद्ध नहीं कर पाएं तो दान कर देना चाहिए. दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके अपने दायें हाथ के अंगूठे को पृथ्वी की तरफ करके ऊं मातृ देवताभ्यो नम: ऊं पितृ देवताभ्यो नम: तीन बार पढ़ लेना चाहिए. इसे भावांजलि कहते हैं. 

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तर्पण का समय | Shradh 2022 Tarpan Time

सूर्य अच्छी तरह चढ़ जाए तब श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए. इसके लिए अच्छा समय  मध्याह्न 11.30 से 12.30 तक माना गया है. तर्पण और श्राद्ध कर्म शाम के समय नहीं किए जाते हैं. इस दिन के समय ही किया जाता है. 

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कब करना चाहिए श्राद्ध | When to do Shradh

पूर्वजों का श्राद्ध कर्म उनकी मृत्यु की तिथि पर किया जाता है. इसमें अंग्रेजी तिथि मान्य नहीं है. यदि तिथि और दिन मालूम न हो तो पितृ अमावस्या को श्राद्ध कर्म करना उचित होता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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