Paush Purnima 2022: आज है पौष पूर्णिमा, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का खास महत्व माना जाता है. पौष पूर्णिमा पर यानि आज के दिन (सोमवार) स्नान-दान और ध्यान कर भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना की जाती है. आइए जानते है पौष पूर्णिमा की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व.

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Paush Purnima 2022: पौष पूर्णिमा इस विधि से करें पूजन, जानिए शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली:

पौष मास (Paush Month) के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पौष पूर्णिमा होती है. पौष पूर्णिमा पर सूर्य और चंद्रमा का यह अद्भुत संगम बेहद शुभ माना जाता है. मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन आज चंद्रमा और माता लक्ष्मी की पूजा से धन, दौलत और सुख में वृद्धि होती है. साल 2022 की पहली पौष पूर्णिमा आज 17 जनवरी दिन सोमवार को है. आज के दिन सत्यनारायण भगवान की कथा और पूजन करना शुभ माना जाता है. कहते हैं कि पौष मास की पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र तीर्थ स्थल पर स्नान-दान करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है. मान्यता के अनुसार, इस दिन की जाने वाली पूजा और व्रत से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. आइए जानते है पौष पूर्णिमा की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व.

पौष पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त | Shubh Muhurat Of Paush Purnima

  • पौष शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि- 17 जनवरी को पूरा दिन पार कर 18 जनवरी सुबह 5 बजकर 19 मिनट तक रहेगी.
  • चंद्रोदय समय- चंद्रमा के उदय का समय शाम 5 बजकर 10 मिनट पर है.

पौष पूर्णिमा का महत्व | Significance Of Paush Purnima

हिंदू धर्म में पौष सूर्य देव का माह कहलाता है. मान्यता के अनुसार, इस दिन सूर्य देव की पूजा और व्रत से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. कहते हैं कि पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आज के दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में गंगा स्नान का बड़ा महत्व होता है. माना जाता है कि पौष मास की पूर्णिमा के दिन दान करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है.

आज के मुहूर्त | Today's Muhurta 2022

  • सूर्योदय का समय 17 जनवरी 2022- सुबह 7 बजकर 15 मिनट पर.
  • सूर्यास्त का समय 17 जनवरी 2022- शाम 5 बजकर 48 मिनट पर.
  • विजय मुहूर्त- दोपहर 2 बजकर 17 मिनट से 2 बजकर 59 मिनट तक रहेगा.
  • निशीथ काल- मध्‍यरात्रि 12 बजकर 4 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक.
  • गोधूलि बेला- शाम 5 बजकर 37 मिनट से 6 बजकर 1 मिनट तक.
  • अमृत काल- आधी रात के बाद 1 बजकर 59 मिनट से 3 बजकर 44 मिनट तक.
  • ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 5 बजकर 27 मिनट से 6 बजकर 21 मिनट तक. 
  • सर्वार्थ सिद्धि योग- अगली सुबह 4 बजकर 37 मिनट से सुबह 7 बजकर 15 मिनट तक.

पूर्णिमा पूजा विधि | Purnima Puja Vidhi

  • पौष पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल स्नान से पहले व्रत का संकल्प लें.
  • पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें और स्नान से पूर्व वरुण देव को प्रणाम करें.
  • आप नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान भी कर सकते हैं. नहाते समय सभी पावन नदियों का ध्यान कर लें.
  • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
  • अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें.
  • सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें.
  • आज के दिन भगवान मधुसूदन की पूजा करें और उन्हें नैवेद्य अर्पित करें.
  • सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें.
  • पूर्णिमा के पावन दिन भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है.
  • पूजा के समय भगवान विष्णु को भोग लगाएं. 

  • ख्याल रखें भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को भी शामिल करें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते हैं.
  • आज के दिन भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है.
  • भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें.
  • पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है.
  • चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा अवश्य करें.
  • आ के दिन किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देनी चाहिए.
  • दान में तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्र विशेष रूप से दे सकते हैं
  • अगर आपके घर के आसपास गाय है, तो गाय को भोजन जरूर कराएं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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