गुरुवार का व्रत आरंभ करने के लिए पौष मास है सर्वोत्तम, व्रत के दौरान रखें इन बातों का ध्यान

मान्यता है कि इससे श्री हरि की कृपा होती है. इस दिन विधिवत व्रत कर भगवान श्री हरि यानी विष्णु जी की पूजा करना चाहिए. इसे संकट और विपत्ति टलती है ऐसी मान्यता है. इसके अलावा बृहस्पतिवार के उपवास के लिए कुछ बातें वर्जित मानी गई हैं.

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बृहस्पतिवार के उपवास के लिए कुछ बातें वर्जित मानी गई हैं, इस व्रत और पूजा से जुड़ी मान्यताओं के बारे में यहां हम आपको बता रहे हैं. 

वैसे तो हिन्दू धर्म में प्रत्येक मास और सप्ताह का प्रत्येक दिवस किसी न किसी देवी-देवता के लिए समर्पित माना जाता है. पौष के महीने में भगवान श्री हरि यानी भगवान विष्णु और सूर्य भगवान की पूजा को अहम माना गया है. गुरुवार यानी बृहस्पतिवार भगवान विष्णु का दिन माना जाता है. ऐसे में ग्रहों में सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति का व्रत आरंभ करने के लिए ये पौष मास सर्वोत्तम है. मान्यता है कि इससे श्री हरि की कृपा होती है. इस दिन विधिवत व्रत कर भगवान श्री हरि यानी विष्णु जी की पूजा करना चाहिए. इसे संकट और विपत्ति टलती है ऐसी मान्यता है. इसके अलावा बृहस्पतिवार के उपवास के लिए कुछ बातें वर्जित मानी गई हैं, इस व्रत और पूजा से जुड़ी मान्यताओं के बारे में यहां हम आपको बता रहे हैं. 

न करें केले का सेवन


माना जाता है कि केले के पेड़ में भगवान श्री हरि यानी नारायण का वास करते हैं. ऐसे में गुरुवार के दिन केले का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दिन केले के पेड़ का पूजन करना भी शुभ माना जाता है. इसके साथ ही हल्दी मिले जल से भगवान की प्रतिमा को स्नान करवाना चाहिए. भगवान विष्णु को गुड़-चने का प्रसाद प्रिय माना जाता है. ऐसे में पूजा के पश्चात्  भगवान को गुड़-चने या किसी भी पीले खाद्य पदार्थ का भोग लगाना चाहिए.

पीले रंग का महत्व


गुरुवार के दिन और पीले रंग का खासा महत्व माना जाता है. इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनना काफी अधिक शुभ माना जाता है. इसके अलावा पीले रंग की वस्तुओं के दान की भी परंपरा है. माना जाता है कि इस दिन चने की दाल, पीले रंग के फल, पीले रंगों के वस्त्रों के दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इसके अलावा ये भी माना जाता है कि गुरुवार के दिन व्रत रखने वालों को नाखून और बाल नहीं काटना चाहिए.

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