नागपंचमी पर क्या नागों के दर्शन बगैर अधूरी रह जाती है पूजा, जानें कैसे मिलेगा आशीर्वाद

Nag Puja 2025: नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा क्यों की जाती है? नाग पूजा की कब और कैसे हुई थी शुरुआत? नाग पंचमी की कथा, नाग देवता की पूजा विधि और उससे मिलने वाले धार्मिक लाभ के बारे में विस्तार से जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

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नागपंचमी की पूजा की सरल विधि और उसके बड़े लाभ

Nag Panchami 2025: श्रावण मास के शुक्लपक्ष की पंचमी को हर साल नागों की पूजा का पावन पर्व नाग पंचमी मनाया जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार नागों की पूजा करने पर व्यक्ति को सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसे भविष्य में शत्रु और सर्पदंश का भय नहीं रहता है. पंचांग (Panchang) के अनुसार इस साल नागपंचमी का पर्व 29 जुलाई 2025 को मनाया जाएगा. नागों की पूजा हमारे देश में कब और कैसे प्रारंभ हुई? नागों की पूजा करने के धार्मिक और वास्तु (Vastu) लाभ क्या हैं? यदि नागपंचमी के दिन नाग देवता के दर्शन न हों तो आखिर कैसे करें पूजा? आइए इन सभी सवालों के जवाब को विस्तार से जानते हैं. 

नाग पंचमी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार राजा परीक्षित को सांप के काटने पर मृत्यु का श्राप मिला था. यह श्राप उन्हें शमीक ऋषि के पुत्र श्रृंगी ऋषि ने दिया था. जिसके बाद तक्षक नाग के काटने के कारण उनकी मृत्यु भी हुई. इसके बाद राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने सभी नागों का नाश करने के लिए नागदाह यज्ञ किया था. जिसके बाद सभी सर्प उस यज्ञ में आकर जलकर मरने लगे लेकिन तक्षक नाग जाकर इंद्र के सिंहासन से लिपट गया. यज्ञ के प्रभाव से जिस सिंहासन से तक्षक नाग लिपटा था वो डोलने लगा. तब आस्तीक मुनि ने हस्तक्षेप किया और राजा जनमेजय को यज्ञ रोकने के लिए राजी किया. आस्तिक मुनि के प्रयास से सर्प जाति का अस्तित्व तो बच गया लेकिन उस समय कई ऐसे सर्प थे जो आग में जलने के कारण पीड़ा झेल रहे थे. उस पीड़ा को शांत करने के लिए उनके उपर कच्चा दूध डाला गया. उसी दिन से नागों की विशेष पूजा प्रारंभ हो गई. 

जब न हो नाग देवता के दर्शन

जाने-माने ज्योतिषविद् और धर्म-कर्म के मर्मज्ञ डॉ. राज मिश्रा के अनुसार नागपंचमी के दिन किसी नाग के पास जाकर पूजा का कोई विधान नहीं है, इसलिए यदि आपको नाग देवता के दर्शन न हों तो आप बिल्कुल निराश न हों. यदि आपके घर के पास कोई शिव मंदिर है तो आप वहां जाकर नाग देवता की पूजा कर सकते हैं. अगर ये भी संभव न हो तो भगवान शिव के चित्र को देखकर नाग पूजा कर सकते हैं.

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अगर आपसे यह भी न संभव हो तो आप आदिगुरु शंकराचार्य जी द्वारा बताई गई नागों की मानस पूजा कर सकते हैं. यदि आप नागपंचमी पर अपने मन में नागपूजा का भाव लाते हुए उनका सुमिरन करते हैं तो निश्चित रूप से आपको उसका पुण्यफल प्राप्त होगा. नागपंचमी के दिन भगवान शिव को नाग-नागिन का जोड़ा चढ़ाने से भी शुभ फल प्राप्त होते हैं. 

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नाग पूजा का पुण्य फल 

नाग पूजा का न सिर्फ धर्म शास्त्र में बल्कि वास्तु शास्त्र में भी शुभ फल बताया गया है. सनातन परंपरा में नागों को देवताओं के समकक्ष माना गया है, इसीलिए उन्हें नाग देवता कहते हैं. हमारे यहां नाग शिव के गले का हार हैं तो वहीं भगवान श्री विष्ण की शैय्या हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार पृथ्वी के पूरे भार को शेषनाग ने उठा रखा है. ज्योतिष के अनुसार नाग की पूजा से न सिर्फ घर का वास्तु दोष दूर होता है, बल्कि नाग की पूजा कुंडली के कालसर्प दोष भी समाप्त होता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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