Mauni Amavasya: मौनी अमावस्या के दिन आज मौन रहकर किया जाता है यह काम, जानिए स्नान-दान का महत्व

माघ के महीने में पवित्र नदी में स्नान, दान आदि के लिए अत्यंत शुभ माना गया है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवतागण पवित्र संगम में निवास करते हैं, इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है. आइए जानते हैं मौनी अमावस्या पर किए जाने वाले स्नान-दान का महत्व.

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Mauni Amavasya: जानिए मौनी अमावस्या पर किए जाने वाले स्नान-दान का महत्व
नई दिल्ली:

माघ मास (Magh Month) के कृष्ण पक्ष की अमावस्या (Amavasya) तिथि को मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) होती है. मौनी अमावस्या को माघी अमावस्या (Maghi Amavasya) भी कहते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवतागण पवित्र संगम में निवास करते हैं, इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मुनि शब्द से मौनी की उत्पत्ति हुई है, इसलिए इस दिन मौन रहने वाले व्यक्ति को मुनि पद की प्राप्ति होती है. सभी अमावस्याओं में मौनी अमावस्या का विशेष स्थान है. इस दिन गंगा स्नान (Ganga Snan) का भी महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन गंगा नदी का जल अमृत के समान होता है. इसमें स्नान करने से सभी पाप मिट जाते हैं, निरोगी काया प्राप्त होती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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शास्त्रों के अनुसार, जितना पुण्य मुंह से भगवान का जाप करने से मिलता है. उससे कहीं गुना ज्यादा पुण्य मौन रहकर जाप करने से मिलता है. कहते हैं कि अगर दान से पहले सवा घंटे तक मौन रखा जाए, तो दान का फल 16 गुना अधिक बढ़ जाता है. माना जाता है कि मौन धारण कर व्रत का समापन करने वाले को मुनि पद की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या पर मनु ऋषि का जन्म हुआ था और मनु शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई.

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निरोग रहने के लिए इस बात का रखें ध्यान

माघ मास में भगवान सूर्य देव के पूजन का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि माघ मास में पवित्र नदियों, कुंड और पवित्र सरोवर में स्नान करने से सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्त होती है. कहते हैं कि ये ऊर्जा व्यक्ति को कई प्रकार के रोगों से भी बचाती है. ऐसा भी माना जाता है कि इसी तरह माघ मास में अनुशासित जीवन शैली को अपनाने से व्यक्ति को कई प्रकार की समस्याओं से भी मुक्ति मिलती है.

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कब है माघ अमावस्या

माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का आरंभ 31 जनवरी दिन सोमवार को दोपहर 02 बजकर 18 मिनट से हो रहा है और इसका समापन 01 फरवरी दिन मंगलवार को दिन में 11 बजकर 15 मिनट पर होगा. इसे मौनी अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन स्नान और दान करने का विशेष महत्व हैं. कई लोग मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखते हैं, जो बेहद फलदायी माना जाता है. इस दिन पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म भी किया जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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