Mangalsutr significance 2025 : विवाह दो आत्माओं का पवित्र बंधन. जिसमें दो लोग अपने अलग-अलग अस्तित्व को समाप्त कर एक सम्मिलित इकाई का निर्माण करते हैं. स्त्री और पुरुष दोनों में परमात्मा ने कुछ विशेषताएं और कुछ अपूर्णताएं दे रखी है, ऐसे में विवाह एक दूसरे की अपूर्णताओं को अपनी विशेषताओं से पूर्ण करते हैं. इससे समग्र व्यक्तित्व का निर्माण होता है. इसलिए विवाह को समांतर मानव जीवन की एक आवश्यकता माना गया है. एक दूसरे को अपनी योग्यताओं और भावनाओं का लाभ पहुंचाते हुए गाड़ी में लगे हुए दो पहियों की तरह प्रगति पथ पर अग्रसर होते जाना विवाह का उद्देश्य है.
वासना का दांपत्य जीवन में अत्यंत तुच्छ और गौण स्थान है. प्रधानतः दो आत्माओं के मिलने से उत्पन्न होने वाली उस महती शक्ति का निर्माण करना है. जो दोनों के लौकिक व आध्यात्मिक जीवन के विकास में सहायक सिद्ध हो सकते हैं. मंगलसूत्र इसी पावन और पवित्र रिश्ते का प्रमुख प्रतीक है. ऐसे में आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से मंगलसूत्र का क्या महत्व होता है और इससे पहनने का क्या नियम है.
मंगलसूत्र पहनने का नियम और महत्व क्या है
मंगलसूत्र विवाह संस्कार के दौरान वर द्वारा वधू को पहनाया जाता है. इससे शादी के बाद पति-पत्नी के रिश्ते को बुरी नजर नहीं लगती. मंगलसूत्र के इतिहास के बारे में यदि जानें तो आदि गुरु शंकराचार्य की पुस्तक सौंदर्य लहरी में उल्लेखित मिलता है.
मंगलसूत्र में देवी देवताओं का होता है वास
मंगलसूत्र के बारे में लिखा है मंगलसूत्र पत्नी और पति को पवित्र रिश्ते में जोड़ता है. जैसे ही शादी होती है सुहागन महिलाएं मंगलसूत्र पहनना आरंभ कर देती हैं. मंगलसूत्र सुहाग की निशानी मानी जाता है. मंगलसूत्र में कई देवी देवताओं का वास होता है. साथ ही यह भी माना जाता है कि मंगलसूत्र एक ऐसा पवित्र बंधन है, जो पति-पत्नी के बीच रिश्ते उनको बुरी नजर से बचाता है.
मंगलसूत्र का क्या है इतिहास और पौराणिक महत्व
महिलाओं द्वारा मंगलसूत्र पहनने की परंपरा के बारे में बताया गया है कि यह परंपरा छठी शताब्दी में शुरू हुई, और मंगलसूत्र के साक्ष्य मोहन जोदारो की खुदाई में भी मिले थे. आगे बताया गया कि मंगलसूत्र पहनने की शुरुआत सबसे पहले दक्षिण भारत से हुई उसके बाद धीरे-धीरे भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी यह प्रचलित हो गया. तमिलनाडु में इसे 'थिरू मंगलम' कहते हैं. उत्तर भारत में इसे मंगलसूत्र कहा जाता है.
मंगलसूत्र पहनने के फायदे क्या हैं
मंगलसूत्र पहनने के कई फायदे होते हैं. सबसे पवित्र धातु सोने का एवं काले मोतियों का बना हुआ होता है. महिलाओं के 16 श्रृंगार में से एक है. महिलाओं द्वारा मंगलसूत्र को शरीर में धारण करने से शरीर को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है. साथ ही गुरु ग्रह के प्रभाव से दांपत्य जीवन में सुख प्रेम और सौहार्द बढ़ता है.
काले रंग के मोती शनि का स्वरूप होते हैं, जो बुरी नजर से बचते हैं और दांपत्य जीवन में स्थायित्व पैदा करते हैं. मंगलसूत्र को सुहागिन महिलाओं को सदैव धारण करना चाहिए.
लेकिन वर्तमान समय में नव विवाहिता मंगलसूत्र नहीं पहनती हैं, सिंदूर नहीं लगाती हैं, बिच्छुवा नहीं पहनती हैं, ये सभी सुखी वैवाहिक जीवन और पति की दीर्घायु के लिए होते हैं.
मंगलसूत्र वैवाहिक जीवन का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है. मंगलसूत्र को नजर बाधा से बचाने वाला भी माना जाता है. यह एक काले मोतियों की माला होती है, जिसे महिलाएं अपने गले में धारण करती हैं. मंगलसूत्र में पीला धागा होता है. इस पीले धागे में काले मोतियों को पिरोया जाता है साथ ही और अन्य शुभ चीज भी रहती हैं. साथ ही सोने अथवा पीतल का लॉकेट रहता है. मंगलसूत्र पति के जीवन पर आने वाले संकट से भी रक्षा करता है. यह मंगलसूत्र महिलाओं के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है. यह सभी विवाहित महिलाओं को पहनना चाहिए और जब तक कोई विशेष मजबूरी ना हो इसको उतरना नहीं चाहिए.
कब करें मंगल सूत्र धारण
शुभ मुहूर्त शुभ समय में इसको धारण करना चाहिए. शनिवार मंगलवार को इसको धारण न करें. वहीं, मंगलसूत्र स्वयं खरीदे या पति खरीदकर दें, कभी किसी अन्य से मंगलसूत्र लेकर नहीं पहनना चाहिए. साथ ही नई दुल्हन को एक साल तक गले से मंगलसूत्र नहीं उतारना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)