शिवरात्रि पर चढ़ाया जाता है बेलपत्र, लेकिन जान लें बेलपत्र कब तोड़ना चाहिए और कब नहीं

Mahashivratri 2025: भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय है और महाशिवरात्रि की पूजा में शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का बहुत महत्व है. लेकिन, बेलपत्र तोड़ने के कुछ नियम हैं जिनका ध्यान रखना आवश्यक होता है.

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Mahashivratri Puja: महाशिवरात्रि पर बेलपत्र से जुड़े नियमों का रखें विशेष ध्यान.

Mahashivratri 2025: फाल्गुन माह भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए अत्यंत शुभ माह है. इस माह की कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती की अराधना के लिए सबसे महत्वपूर्ण व्रत महाशिवरात्रि पर रखा जाता है. इस वर्ष 27 फरवरी, गुरुवार को महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा. धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि महादेव और माता पार्वती के विवाह की तिथि है. महाशिवरात्रि पर शिव भक्त व्रत रखकर विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं. देश भर के शिव मंदिरों में महाशिवरात्रि बेहद धूमधाम से मनाई जाती है और बड़ी संख्या में लोग प्रभु के दर्शन करने मंदिर पहुंचते हैं. महाशिवरात्रि की पूजा में भक्त शिवलिंग पर भगवान शिव (Lord Shiva) की प्रिय चीजें बेलपत्र, भांग, धतुरा, सफेद रंग के फूल चढ़ाते हैं और जलाभिषेक करते हैं. भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय है और महाशिवरात्रि की पूजा में शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का बहुत महत्व है. लेकिन, बेलपत्र को तोड़ने के कुछ नियम हैं. आइए जानते हैं बेलपत्र तोड़ने से जुड़े नियमों के बारे में.

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बेलपत्र तोड़ने से जुड़े नियम

सोमवार को बेलपत्र तोड़ना वर्जित

कुछ दिनों पर बेलपत्र तोड़ना वर्जित माना जाता है. सोमवार भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित दिन है लेकिन इस दिन बेलपत्र तोड़ना वर्जित है. मान्यता है कि सोमवार के दिन बेलपत्र पर माता पार्वती (Mata Parvati) का वास होता है. इसलिए सोमवार को बेलपत्र तोड़ने से भगवान शिव के नाराज होने का भय रहता है.

रविवार और माह की द्वादशी तिथि

रविवार और माह के दोनों पक्षों की द्वादशी तिथि को भी बेलपत्र तोड़ना वर्जित माना जाता है. स्कंद पुराण में किए गए वर्णन के अनुसार इन दिनों पर बेलपत्र तोड़ने से भगवान शिव नाराज हो जाते हैं. हालांकि इन दिनों पर बेलपत्र के पेड़ की पूजा करना शुभ होता और इससे धन संपत्ति की कमी दूर होती है. 

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इन दिनों को भी न तोड़ें बेलपत्र

माह की चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या तिथि, संक्रांति तिथियों के दिन भी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए. मान्यता है कि इन दिनों पर बेलपत्र तोड़ने से भगवान शिव के नाराज होने का भय होता है.

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केवल पत्तियां तोड़ें

ऊपर बताए गए दिनों के अलावा जब भी बेलपत्र तोड़ें, हमेशा ध्यान रखें कि केवल पत्तियां ही तोड़ें. बेलपत्र को कभी भी टहनी समेत नहीं तोड़ना चाहिए.

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शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय रखें इन बातों का ध्यान
  • शिवलिंग पर हमेशा तीन पत्तों वाले बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं. तीन पत्तों के बेलपत्र 3, 7, 11 या 21 जैसे विषम संख्या में शिवलिंग पर चढ़ाएं.
  • हमेशा साफ सुथरे, बगैर कटे फटे और बगैर दाग धब्बों वाले बेलपत्र ही शिवलिंग पर चढ़ाएं. बेलपत्र को अच्छी तरह से साफ करके ही पूजा में उपयोग करना चाहिए. खराब बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव के नाराज होने का खतरा रहता है.
  • शिवलिंग पर हमेशा ताजे तोड़े हुए बेलपत्र ही चढ़ाने चाहिए. भगवान शिव की पूजा के लिए भूलकर भी मुरझाए और सूखे हुए बेलपत्र का उपयोग नहीं करना चाहिए.
  • बेलपत्र (Belpatra) को शिवलिंग पर चढ़ाने से पहले अच्छी तरह से साफ कर उस पर चंदन से ओम, या श्रीराम लिखें और उसे शिवलिंग पर इस तरह चढ़ाएं कि बेलपत्र का चिकना हिस्सा शिवलिंग को स्पर्श करें. बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाते समय ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें.
  • शिवलिंग की पूजा करते समय सही क्रम का पालन करना जरूरी होता है. पहले शिवलिंग को जलाभिषेक कराएं उसके बाद बेलपत्र चढ़ाएं. बेलपत्र चढ़ाने के बाद जलाभिषेक नहीं कराना चाहिए.
  • अगर पूजा के लिए बेल पत्र नहीं हो तो शिवलिंग पर चढ़ाए गए बेलपत्र को धोकर फिर से चढ़ाया जा सकता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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