Kumbh mela 2025 : कुंभ मेला में पंडों की विशेष भूमिका होती है. क्योंकि यहां लाखों की संख्या में स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को धार्मिक अनुष्ठान करने में पंडे सहायता प्रदान करते हैं. कुंभ मेला में पंडों का कार्य श्रद्धालुओं को विशेष पूजा विधियों, मंत्रों और अनुष्ठानों का पालन कराना होता है, जिससे वे सही तरीके से पूजा पाठ संपन्न कर सकें और पुण्य कमा सकें. यह काम सैकड़ों सालों से पंडे कुंभ मेले में करते आ रहे हैं. आपको बता दें कि सालों साल से तीर्थराज प्रयाग में आने वाले श्रद्धालुओं की आवभगत करने वाले पंडों को तीर्थराज और प्रयागवाल के नाम से भी जाना जाता है. आखिर उन्हें यह उपनाम क्यों दिया जाता है, आगे आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं...
दरअसल, प्रयागराज से प्रयागवालों का संबंध बहुत पुराना है. पहले तो इन प्रयागवालों को तीर्थ गुरु के नाम से लोग जानते थे. यही लोग धार्मिक अनुष्ठान संपन्न करवाते थे. एक समूह में होने की वजह से इनको प्रयागवाल कहा जाने लगा. प्रयागवाल उच्चकोटि के ब्राह्मण होते हैं, जिनमें सरयूपारी और कान्यकुब्ज दोनों आते हैं.
यही नहीं प्रयागराज के पंडों के पास देश-विदेश में रह रहे भारतीयों की पांच सौ सालों की वंशावली मौजूद है. इनके पास कौन यजमान कहां से आया इसका पूरा बही खाता होता है. आपको बता दें पंडे प्रयागराज में आए लोगों का लेखा जोखा रखने का काम प्राचीन काल से करते आ रहे हैं.
आपको बता दें कि इस साल महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में किया जा रहा है. कुंभ मेले 13 जनवरी 2025 से शुरू हो रहा है जो 26 फरवरी 2025 महाशिवरात्रि के दिन तक चलेगा. इस दौरान देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम (गंगा, यमुन और सारस्वती नदी) में स्नान करने के लिए इकट्ठा होंगे. हिन्दू धर्म के अनुसार, यहां स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि प्रयागराज हर 12 साल में आयोजित होने वाले कुंभ मेला का प्रमुख स्थल है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.