Maha Saptami 2022: सप्तमी के दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा, जानें पूजा विधि और आरती

Maha Saptami: नवरात्रि के सातवें दिन महा सप्तमी मनाई जाती है. इस दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है

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Maha Saptami: महा सप्तमी के दिन इस तरह होती है मां कालरात्रि की पूजा.

Maha Saptami 2022: शारदीय नवरात्रि इस बार 26 सितंबर से शुरू होकर 5 अक्टूबर 2022 तक चलने वाली है. नवरात्रि में प्रत्येक दिन अलग-अलग देवी की पूजा की जाती है. इस क्रम में सातवें दिन मां महासप्तमी पड़ती है. इस दिन मां दुर्गा की सातवी स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है. माता का यह स्वरूप भयंकर माना जाता है. इस स्वरूप में मां कालरात्रि के तीन नेत्र हैं. साथ ही इनके गले में विद्युत् की माला है और इनके हाथों में खड्ग और कांटा है. इसके अलावा माता के इस स्वरूप का वाहन गधा है. मां कालरात्रि की पूजा से भय और रोगों का नाश होता है. आइए जानते हैं कि इस साल मां कालरात्रि की पूजा पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

महा सप्तमी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त | Maha Saptami 2022 Shubh Muhurat

शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन महा सप्तमी मनाई जाती है. इस दिन माता के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. इस बार आश्विन शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 2 अक्टूबर को पड़ रही है. ऐसे में महा सप्तमी 2 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी. इस दिन शाम 6 बजकर 28 मिनट तक सप्तमी तिथि है. उसके बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी. उदया तिथि की मान्यता के अनुसार महा सप्तमी का व्रत 2 अक्टूबर को ही रखा जाएगा. 

मां कालरात्रि पूजा विधि | Maa Kalratri Puja Vidhi

महा सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा के लिए सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें. इसके बाद माता के सामने घी का दीपक जलाएं. उन्हें लाल रंग के फूल अर्पित करें. माता कालरात्रि को गुड़ या उससे बने पकवान का भोग लगाएं. दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. पूजन समाप्त होने के बाद माता के मंत्रों का जाप कर उनकी आरती करें.

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मां कालरात्रि मंत्र | Maa Kalratri Mantra

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी

वामपादोल्लसल्लोहलताकंन्टकभूषणा
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

मां कालरात्रि की आरती |  Maa Kaalratri Ki Aarti

कालरात्रि जय जय महाकाली, काल के मुंह से बचाने वाली

दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा, महा चंडी तेरा अवतारा

पृथ्वी और आकाश पर सारा, महाकाली है तेरा पसारा

खंडा खप्पर रखने वाली, दुष्टों का लहू चखने वाली

कलकत्ता स्थान तुम्हारा, सब जगह देखूं तेरा नजारा

सभी देवता सब नर नारी, गावे स्तुति सभी तुम्हारी

रक्तदंता और अन्नपूर्णा, कृपा करे तो कोई भी दु:ख ना

ना कोई चिंता रहे ना बीमारी, ना कोई गम ना संकट भारी

उस पर कभी कष्ट ना आवे, महाकाली मां जिसे बचावे

तू भी 'भक्त' प्रेम से कह, कालरात्रि मां तेरी जय

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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