Maha Kumbh 2025: महा कुंभ में आने वाले भक्तों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. देशभर के लोग तो इस महा धार्मिक आयोजिन का हिस्सा बन ही रहे हैं. विदेशियों को भी महाकुंभ (Maha Kumbh) के रंग बहुत भा रहे हैं. यही वजह है कि इस बार संगम के किनारे, साधुओं की दुनिया में बहुत से विदेशी भी नजर आ रहे हैं. जो इस महा कुंभ पर छाए आस्था के रंग को भी समझना चाहते हैं. और, नागा साधुओं (Naga Sadhu) के रहस्यमयी संसार को भी नजदीक से देखना और समझना चाहते हैं. ऐसे ही एक विदेशी भक्त से एनडीटीवी ने खास बातचीत की. साथ ही उनके अनुभवों को भी समझा. चलिए आपको भी मिलाते हैं इस विदेशी भक्त (Devotee) से जो महा कुंभ के रंग में घुल मिल गई है. और, इस अवसर को पूरी तरह से भक्ति से सराबोर होकर बिताना चाहती है.
महाकुंभ में आई विदेशी भक्त | Devotee From France In MahaKumbh 2025
कौन है ये विदेशी भक्त
महा कुंभ में एनडीटीवी की टीम को मिली ये विदेशी भक्त हैं वेरनोनिका. वेरनोनिका फ्रांस की रहने वाली हैं. खास बातचीत में उन्होंने बताया कि वो खासतौर से महाकुंभ में शामिल होने ही इंडिया आई हैं. उनके हाथ में एक कैमरा भी है. जिस पर खास लैंस लगी है. इस कैमरे के जरिए वो महा कुंभ के अलग अलग रंग को तस्वीरों के रूप में कैप्चर कर रही हैं. इस मौके पर वेरनोनिका ने एनडीटीवी से लंबी बातचीत की और अपने एक्सपीरियंस भी शेयर किए.
नागा साधुओं के साथ किया सफर
वेरनोनिका के लिए हिंदी भाषा समझना आसान नहीं है. लेकिन वो नागा साधुओं की दुनिया को जानने और समझने के लिए बेताब हैं. उन्होंने बताया कि वो नागा साधुओं के साथ बस में बैठ कर ही महा कुंभ के स्थान तक आई हैं. अपने इस एक्सपीरियंस को वेरनोनिका ने इनक्रेडिबल बताया. उनके मुताबिक नागा साधुओं को समझने का जो मौका मिला. वो वाकई बेहद शानदार रहा. उनका कहना है कि इस दुनिया में आकर वो खुद को एकदम अलग महसूस कर रही हैं.
उन्होंने एनडीटीवी को ये भी बताया कि महा कुंभ की धरती पर आकर वो बहुत से अलग अलग साधुओं से मिल रही हैं और उनके एक्सपीरियंस को समझ भी रही हैं.
नागा साधुओं की पढ़ी स्टोरी
महा कुंभ में आने से पहले ही वेरनोनिका नागा साधुओं के संसार पर काफी कुछ रिसर्च करके आई हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने काफी किताबें और कहानियां पढ़ीं. ताकि वो जान सकें कि नागा साधु किस तरह रहती हैं. इन कहानियों के जरिए उन्हें ये जानने का मौका मिला कि नागा साधु पर्वतों पर गुफाओं में रहते हैं. वो बारह साल किसी से मिलते जुलते नहीं है. बात भी नहीं करते हैं. बारह साल बाद वो खासतौर से महाकुंभ में हिस्सा लेने पर्वतों से निकलकर आते हैं. और, पवित्र संगम में डुबकी लगाते हैं.
महाकुंभ में किया स्नान
वेरनोनिका ने बताया कि वो खुद पवित्र संगम में डुबकी लगाने का पुण्य लाभ कमा चुकी हैं. उन्होंने ये भी बताया कि सुबह सूरज निकलने से पहले ही साधु संत पवित्र संगम में डुबकी लगाने के लिए चल देते हैं. महा कुंभ का ये रंग उन्हें काफी आकर्षित करता है.