Chandra Grahan 2025: भारत में 14 मार्च, शुक्रवार के दिन होली मनाई जा रही है और इसी दिन चंद्र ग्रहण लग रहा है. चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) ना सिर्फ खगोलीय घटना है बल्कि इसका अत्यंत धार्मिक महत्व भी होता है. चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है जिसमें पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है जिससे पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है और ग्रहण लग जाता है. चंद्र ग्रहण तब लगता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं. चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं, पूर्ण चंद्र ग्रहण, आंशिंक चंद्र ग्रहण और अपच्छाया चंद्र ग्रहण. 14 मार्च को लगने वाला चंद्र ग्रहण किस तरह का होगा, कहां-कहां से दिखेगा और भारत (India) में इसका सूतक काल मान्य होगा या नहीं जानिए यहां. साथ ही पढ़ें ग्रहण के दौरान किन बातों को ध्यान में रखना जरूरी होता है.
साल का पहला चंद्र ग्रहण कितने बजे लगेगा | First Lunar Eclipse Of 2025 Time
होली के दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. यह चंद्र ग्रहण 14 मार्च को लगेगा. यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होने वाला है जिसे ब्लड मून कहा जाता है. ब्लड मून (Blood Moon) चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा का रंग लाल या गुलाबी हो जाता है. यह घटना तब होती है जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है और पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद धूल और जलवाष्प यानी पानी की गैसेस चंद्रमा के प्रकाश को लाल रंग में बदल देते हैं.
इस चंद्र ग्रहण का समय भारत के समयानुसार 14 मार्च सुबह 9 बजकर 27 मिनट से दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक है.
जिस समय चंद्र ग्रहण लग रहा है उस समय भारत में दिन हो रहा होगा. ऐसे में इस चंद्र ग्रहण को भारत से नहीं देखा जा सकेगा.
14 मार्च को लगने वाला साल का पहला चंद्र ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, वेस्टर्न अफ्रीका, यूरोप, प्रशांत महासागर, अटलांटिक, आर्कटिक महासागर, नॉर्थ अमेरिका और साउथ अमेरिका से नजर आएगा.
सूतक काल की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. सूतक काल एक पारंपरिक हिंदू अवधारणा है जो चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण के दौरान मानी जाती है. मान्यतानुसार सूतक काल की अवधि (Sutak Kaal Time) आमतौर पर ग्रहण की शुरुआत से लेकर ग्रहण की समाप्ति तक होती है. इसके अलावा कहा जाता है कि सूतक काल ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है. सूतक काल को अशुभ समय माना जाता है और इसीलिए सूतक काल के दौरान भोजन नहीं किया जाता, पूजा-पाठ या धार्मिक कार्य नहीं किए जाते, गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलने के लिए मना किया जाता है इत्यादि.
होली पर लगने वाले इस चंद्र ग्रहण का सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्र ग्रहण को भारत से नहीं देखा जा सकेगा.
चंद्र ग्रहण के मिथक | Lunar Eclipse Myth- चंद्र ग्रहण से कई तरह के मिथक (Chandra Grahan Myth) जु़ड़े हैं. धार्मिक मान्यतानुसार कहा जाता है कि चंद्र ग्रहण इसलिए लगता है क्योंकि राहू और केतु नामक असुरों ने अमृत पीने की कोशिश की थी. जब चंद्रमा ने यह बात भगवान विष्णु को बताई तो उन्होंने राहू और केतू के सिर और धड़ को अलग कर दिया. इसीलिए कहा जाता है कि चंद्र ग्रहण तब लगता है जब राहू और केतु चंद्रमा को निगलने की कोशिश करते हैं.
- एक मिथक के अनुसार चंद्रमा को एक ऋषि का श्राप लगा था. इसीलिए ग्रहण लगता है.
- कुछ मिथक कहते हैं कि चंद्र ग्रहण के दौरान जल का सेवन करना निषेध होता है.
- आमतौर पर जब चंद्र ग्रहण लगता है तो कुछ सावधानियां बरती जाती हैं. जैसे, गर्भवती महिलाओं को इस दौरान किसी तरह का श्रम करने से मना किया जाता है. ग्रहण के दौरान घर से बाहर निकलने से भी मना किया जाता है.
- ग्रहण के दौरान मानसिक शांति और सकारात्मकता को बनाए रखने के लिए ध्यान लगाया जा सकता है.
- आंखों को सुरक्षित रखने की सलाह दी जाती है. कहते हैं कि ग्रहण देखने के चक्कर में आंखों पर बहुत ज्यादा जोर डालने के बजाय दूरबीन का इस्तेमाल करना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)