Lohri 2022 Date: जानिए पौष माह में क्यों मनाई जाती है लोहड़ी, पढ़िए इसकी कथा

हर साल की तरह इस साल भी मकर संक्रांति के एक दिन पहले 13 जनवरी यानि आज लोहड़ी का त्योहार मनाया जा रहा है. कई जगहों पर लोहड़ी को तिलोड़ी भी कहा जाता है. लोहड़ी को बसंत के आने और सर्दियों के जाने का संकेत भी माना जाता है. वहीं, लोहड़ी को किसानों का नया साल भी माना जाता है.

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Lohri 2022 Date: जानिए क्यों मनाई जाती है लोहड़ी, ये है इसकी कथा
नई दिल्ली:

देश भर में लोहड़ी (Lohri 2021) का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. उत्तर भारत के कई राज्यों जैसे- दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में लोहड़ी पर्व का सेलिब्रेशन देखते ही बनता है. हर साल ये पर्व मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) के एक दिन पहले 13 जनवरी यानि आज मनाया जा रहा है. लोहड़ी को बसंत के आने और सर्दियों के जाने का संकेत भी माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि लोहड़ी का ये पर्व नए अन्न के तैयार होने के साथ-साथ फसल कटाई की खुशी में मनाया जाता है. आज के दिन आग का अलाव लगाया जाता है और उसमें गेंहू की बालियों को अर्पित किया जाता है. इसके साथ-साथ अग्नि में तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाने का भी रिवाज है. इस पर्व को पंजाबी समुदाय के लोग भांगड़ा और नाचते-गाते हुए बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं.

क्यों मनाई जाती है लोहड़ी | Know Why Celebrate Lohri

धार्मिक मान्यता के अनुसार, लोहड़ी पारंपरिक तौर पर नए अन्न के तैयार होने के साथ-साथ फसल कटाई की खुशी में मनाया जाता है. आज के दिन नई फसल की पूजा करने का भी रिवाज है. माना जाता है कि इस दिन रबी की फसल को आग में समर्पित कर सूर्य देव और अग्नि का आभार प्रकट किया जाता है. आज के दिन को मनाते हुए लोग अलाव जलाते हैं और उसमें तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली के साथ-साथ गेंहू की बालियों को अर्पित करते हुए अग्नि की परिक्रमा लगाते हैं. इस दौरान लोग गीत गाते हैं और (भांगड़ा-गिद्दा) नाचते-गाते हुए इस पर्व को सेलिब्रेट करते हैं. आज के दिन को मनाते हुए लोग खुशी में एक-दूसरे को पॉपकॉर्न और तिल के लड्डू भी बांटते हैं.

लोहड़ी की कथा | Lohri Story

इतिहासकारों का मानना है कि मुगल काल में दुल्ला भट्टी नाम का एक लुटेरा था, जो दिल से बेहद नेक इंसान था. लोगों पर अत्याचार करने वालों का दुल्ला भट्टी विरोध करता था. बताया जाता है कि मुगल सैनिकों द्वारा अगवा किए गए लोगों को दुल्ला भट्टी आजाद कराता था, जिस कारण वो लोगों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं था. कहते हैं लोहड़ी के पर्व को मानाते हुए लोग गीतों के माध्यम से उन्हें याद करते हुए धन्यवाद देते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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