Rudraksha Benefits: कौन सा रुद्राक्ष आपके लिए हो सकता है बेस्ट, धारण करने से पहले जानें महत्व, रखें इन बातों का ध्यान

Benefits Of Rudraksha: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई थी. कहते हैं कि रुद्राक्ष को धारण करने से भगवान भोलेनाथ के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी कृपा बनी रहती है. बता दें कि रुद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं. मान्यता है कि रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति सकारात्मकता से भर जाता है.

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How To Wear Rudraksha: भगवान शिव (Lord Shiva) के प्रिय रुद्राक्ष का सनातन धर्म में विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई थी. कहते हैं कि इसे धारण करने से व्यक्ति को धार्मिक ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है. मान्यता है कि रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति सकारात्मकता से भर जाता है. ये भी माना जाता है कि अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति के लिए रुद्राक्ष धारण करना उत्तम होता है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रुद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं, जिन्हें धारण करने से पहले कुछ बातों की जानकारी होना जरूरी है. कहते हैं कि रुद्राक्ष को धारण करने से भगवान भोलेनाथ के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी कृपा बनी रहती है. आइए आज आपको बताते हैं रुद्राक्ष कितने प्रकार के होते हैं और इनका महत्व क्या है. इसके साथ ही आपको बताएंगे कि रुद्राक्ष को धारण करने पहले किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

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जानिए कितने प्रकार के होते हैं रुद्राक्ष | Rudraksha Wearing Benefits And Rules In Hindi

एकमुखी रुद्राक्ष

एकमुखी रुद्राक्ष को बेहद दुर्लभ और प्रभावशाली माना जाता है. कहते हैं कि इसे धारण करने से आध्यात्मिक उन्नति और एकाग्रता बढ़ती है. मान्यता है कि जहां एकमुखी रुद्राक्ष होता है, वहां अष्टसिद्धियों और नवसिद्धियों का वास होता है. कहते हैं कि आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए भी इस रुद्राक्ष को धारण किया जाता है.

दोमुखी रुद्राक्ष

शिव शक्ति का स्वरूप माना जाता है दोमुखी रुद्राक्ष. मान्यता है कि कमजोर चंद्रमा को मजबूत करने के लिए दोमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए. कहते हैं कि इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूती मिलती है.

तीनमुखी रुद्राक्ष

मान्यता है कि अग्निदेव को प्रसन्न करने के लिए तीनमुखी रुद्राक्ष को धारण किया जाता है. कहते हैं कि इस रुद्राक्ष को धारण करने से ओज और उर्जा में वृद्धि होती है.

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चार मुखी रुद्राक्ष

कहते हैं कि चार मुखी रुद्राक्ष स्वयं भगवान ब्रह्मा का स्वरूप है. मान्यता है कि इस रुद्राक्ष को धारण करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि इस रुद्राक्ष को धारण करने से ज्ञान, बुद्धि, धन और वैभव में बढ़ोत्तरी होती है.

पांचमुखी रुद्राक्ष

माना जाता है कि पांचमुखी रुद्राक्ष शिव का स्वरूप है. पांचमुखी रुद्राक्ष को धारण करना शुभ माना जाता है. कहते हैं कि इस रुद्राक्ष को धारण करने से ज्ञान और आध्यात्मिक विकास में वृद्धि होती है.

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छहमुखी रुद्राक्ष

कहते हैं कि छहमुखी रुद्राक्ष षण्मुख कार्तिकेय का स्वरूप है, जिसे धारण करने से भय से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा आरोग्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि छहमुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति में बल और वीर्य की वृद्धि होती है.

सातमुखी रुद्राक्ष

सातमुखी रुद्राक्ष को शुक्र ग्रह का स्वरूप माना जाता है. मान्यता है कि सातमुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति पर माता लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है. माना जाता है कि कला, सुख, सौंदर्य और प्रसिद्धि की प्राप्ति के लिए इस रुद्राक्ष को धारण किया जाता है.

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अष्टमुखी रुद्राक्ष

कहते हैं कि अष्टमातृकाओं का प्रतीक है अष्टमुखी रुद्राक्ष, जिसे धारण करने से अशुभ प्रभावों से बचा जा सकता है. मान्यता है कि राहु का प्रतिक माने जाने वाले अष्टमुखी रुद्राक्ष को मां गंगा को अति प्रिय है, जिसे धारण करना काफी शुभ माना जाता है.

नौमुखी रुद्राक्ष

माना जाता है कि नौमुखी रुद्राक्ष नवशक्ति का प्रतीक है. कहते हैं कि इसे धारण करने से मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है. केतु का प्रतीक माने जाने वाले नौमुखी रुद्राक्ष को धारण करना शुभ माना जाता है.

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बारहमुखी और चौदहमुखी रुद्राक्ष

भगवान शिव का स्वरूप माने जाने वाले बारहमुखी और चौदहमुखी रुद्राक्ष को बेहद पवित्र माना जाता है. मान्यता है कि जहां बारहमुखी और चौदहमुखी रुद्राक्ष होते हैं, वहां सुख-शांति का वास होता है. कहते हैं कि इसे धारण करने से आमोद की प्राप्ति होती है.

रुद्राक्ष धारण करने से पहले जान लें नियम | Know The Rules Before Wearing Rudraksha

  • कहते हैं कि रुद्राक्ष को कभी भी काले धागे में धारण नहीं करना चाहिए.
  • रुद्राक्ष को लाल या पीले रंग के धागे धारण करना शुभ माना जाता है.
  • रुद्राक्ष बेहद पवित्र माना जाता है, इसलिए ध्यान रखें कि कभी भी इसे अशुद्ध हाथों से न छुएं.
  • हमेशा स्नान के बाद ही रुद्राक्ष धारण करना चाहिए.
  • रुद्राक्ष धारण करते समय भगवान भोलेनाथ के मंत्रों का जाप जरूर करें. आप चाहें तो 'ऊं नमः शिवाय' का भी उच्चारण कर सकते हैं.
  • ख्याल रखें कि एक व्यक्ति द्वारा धारण किया गया रुद्राक्ष, कभी भी दूसरा व्यक्ति धारण ना करे.
  • धारण की जाने वाली रुद्राक्ष की माला विषम संख्या में हो इस बात का खास ख्याल रखें.
  • अगर आप रुद्राक्ष की माला धारण कर रहे हैं तो ख्याल रखें कि माला 27 मनकों से कम की नहीं हो.
  • अगर आप चाहें तो रुद्राक्ष को धागे के अलावा चांदी या फिर सोने में जड़वाकर भी धारण कर सकते हैं.
  • रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को हमेशा मांस-मदिरा और नशीली चीजों के सेवन से बचना चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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