Kumbh 2025 : महाकुंभ में अमृत स्नान का 'बुधादित्य योग' और 'भद्रा' कितने बजे तक है, जानिए यहां

इस योग में किया गया कोई भी मांगलिक कार्य निर्विघ्न होंगे. इस दौरान दान-पुण्य करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी. 

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Kumbh 2025 : महाकुंभ में अमृत स्नान का 'बुधादित्य योग' और 'भद्रा' कितने बजे तक है, जानिए यहां
आज से शुरू हुआ महाकुंभ का समापन 26 फरवरी महाशिवरात्रि के दिन होगा.

Mahakumbh snan 2025 :  आज से महाकुंभ स्नान का पौष पूर्णिमा तिथि में श्रीगणेश हो गया. वैसे तो पौष पूर्णिमा तिथि ब्रह्म मुहूर्त में 4 बजकर 32 मिनट से शुरू हुई लेकिन श्रद्धालुओं ने कल से ही स्नान करना शुरू कर दिया था. आपको बता दें कि कुंभ स्नान के पहले दिन बुधादित्य योग भी बन रहा है, जो कल यानी 14 जनवरी मकर संक्रांति तक रहेगा. ऐसे में आइए जानते हैं बुधादित्य योग कितनी देर तक रहेगा और इसका क्या महत्व है.

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बुधादित्य योग कब से कब तक - When will Budhaditya yoga last?

आपको बता दें कि बुधादित्य योग आज सुबह 4 बजकर 32 मिनट से शुरू हो गया है, जो अगले दिन यानी 14 जनवरी को 3 बजकर 45 तक रहेगा. आपको बता दें कि धनु राशि में जब सूर्य और बुध संचारण करते हैं तो बुधादित्य योग बनता है. 

बुधादित्य योग का महत्व - Importance of Budhaditya Yoga

इस योग में किया गया कोई भी मांगलिक कार्य निर्विघ्न होंगे. इस दौरान दान-पुण्य करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी.  वहीं, बुधादित्य योग व्यक्ति को जीवन में सभी प्रकार की सुख, सुविधा और समृद्धि प्रदान करता है. 

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कब से कब तक भद्रा -  From when to when Bhadra 

इस दिन पौष पूर्णिमा तिथि और बुधादित्य योग के अलावा भद्रा का भी साया रहेगा. भद्रा शाम 4 बजकर 7 मिनट तक रहेगी. हालांकि इस भद्रा का स्नान दान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. 

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आज से शुरू हुआ महाकुंभ का समापन 26 फरवरी महाशिवरात्रि के दिन होगा. इस दौरान लगभग 40 करोड़ श्रद्धालु संगम नगरी में पवित्र स्नान के लिए आएंगे. आपको बता दें 45 दिन तक चलने वाले महाकुंभ में 6 शाही स्नान की भी तिथियां हैं जिसमें साधु संतों के अमृत स्नान करने के बाद आम लोग आस्था की डुबकी लगाएंगे. शाही स्नान करने से कुंभ स्नान का फल दोगुना हो जाता है. इसलिए लोग इस तिथि पर भारी संख्या में लोग संगम तट के किनारे स्नान के लिए एकत्रित होते हैं और अपने पापों से मु्क्ति की कामना करते हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


 

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