आज राम की नगरी में होगी प्राण प्रतिष्ठा, जानिए भगवान श्री राम से जुड़े यह रोचक तथ्य, हो जाएंगे भक्तिमय

अयोध्या में नवनिर्मित विशाल राम मंदिर में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा है. भगवान राम से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं, जो उनकी महानता के साक्ष्य हैं.

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भगवान राम का संबंध गौतम बुद्ध से है. वैवस्वत मनु के दस पुत्रों में एक इक्ष्वाकु वंश के रघु थे.

Facts about Lord Ram : 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर देश भर के लोगों में उत्साह और उल्लास का वातावरण है. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश-विदेश के हजारों अतिथि शामिल होने वाले हैं. भक्त गण 23 जनवरी से प्रभु के दर्शन कर सकते हैं. आइए जानते हैं भगवान राम के बारे में कुछ रोचक तथ्य. रामलला प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर भेजें ये टॉप 8 शुभकामना संदेश

श्री राम का जन्म

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को रामनवमी के रूप में भगवान राम का जन्म दिवस मनाया जाता है. 

देश से लेकर विदेश तक में राम पर ग्रंथ

भगवान राम पर भारत के हर क्षेत्र में ही नहीं विदेशों में भी कई ग्रंथ लिखे गए हैं. सबसे प्रमाणिक ग्रंथ वाल्मीकि रचित रामायण को माना जाता है. यह संस्कृत में लिखा गया है.  इसके अलावा कश्मीर में कश्मीरी रामायण, उड़िया में विलंका रामायण, कंन्नड़ में पंप रामायण, बांग्ला में रामायण पांचाली, मराठी में भवार्थ रामायण लिखी गई है. आगे चल कर तुलसी दास ने अवधी भाषा में रामचरित मानस की रचना की. कंपूचिया में रामकेर्ति या रिआमेकर रामायण, लाओस में फ्रलक फ्रलाम यानी राम जातक, थाईलैंड में रामकियेन और नेपाल में भानुभक्त कृत रामायण की रचना हुई.

गौतम बुद्ध के पूर्वज

भगवान राम का संबंध गौतम बुद्ध से है. वैवस्वत मनु के दस पुत्रों में एक इक्ष्वाकु वंश के रघु थे जिनके कुल में भगवान राम का जन्म हुआ था. राम के पुत्र कुश की 50वीं पीढ़ी के रूप में महाभारत कालीन शल्य का वर्णन मिलता है. शल्य की 25वीं पीढ़ी में शुद्धोधन के पुत्र सिद्धार्थ, जो आगे चल कर गौतम बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुए. जयपुर राजघराने की महारानी पद्मिनी का परिवार राम पुत्र कुश के वंशज हैं. महारानी पद्मिनी के अनुसार उनके पति भवानी सिंह कुश के 309 वंशज थे.

शिवलिंग और सेतु

वनवास के अंतिम समय राम लंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र में सेतु का निर्माण करवाया था और सागर तट पर शिवलिंग की स्थापना की थी. आज उसे राम सेतु के रूप में जाना जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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