शक्तिपीठ माता विशालाक्षी के प्राकट्य दिवस पर काशी विश्वनाथ मंदिर से भेजी गई 16 श्रृंगार की सामग्री

काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की तरफ से यह श्रृंगार समर्पण की पहल इसी वर्ष की चैत्र नवरात्रि से प्रारंभ की गई है. बाबा विश्वनाथ मंदिर की ओर से माता विशालाक्षी के मंदिर में दो जोड़ी वस्त्र भी भेंट स्वरूप दिए गए.

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यह शक्तिपीठ वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है.
वाराणसी:

वाराणसी में स्थित शक्तिपीठ माता विशालाक्षी के प्राकट्य दिवस एवं हरियाली श्रृंगार के शुभ अवसर पर काशी विश्वनाथ मन्दिर न्यास द्वारा इस वर्ष चैत्र नवरात्रि पर संकल्पित नवाचार के अनुपालन में माता के 16 श्रृंगार की सामग्री भेजी गई. बाबा विश्वनाथ मंदिर की ओर से माता विशालाक्षी के मंदिर में दो जोड़ी वस्त्र भी भेंट स्वरूप दिए गए. बताया गया कि काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की तरफ से यह श्रृंगार समर्पण की पहल इसी वर्ष की चैत्र नवरात्रि से प्रारंभ की गई है.

मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने आईएएनएस से कहा कि 22 अगस्त को शक्तिपीठ माता विशालाक्षी के प्राकट्य दिवस है. प्राचीन काल से सनातन धर्म में यह मान्य है. हम लोगों ने चैत्र नवरात्रि के दौरान यह फैसला लिया था कि ज्योतिर्लिंग पीठ से श्रृंगार की सामग्री भेजी जाएगी. आज यह श्रृंगार की वस्तुएं भेजी गई हैं. 23 अगस्त को सावन माह के सफलतापूर्वक आयोजन के उपलक्ष्य में 56 भोग का अर्पण महादेव को किया जाएगा. वहीं, भक्तों में इस प्रसाद का वितरण भी किया जाएगा.

पौराणिक कथा के अनुसार, विशालाक्षी शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है. देवी सती के मणिकर्णिका गिरने पर इस पीठ की स्थापना हुई. यह शक्तिपीठ वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) से कुछ ही दूरी पर स्थित है.

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माना जाता है कि जहां-जहां सती के शरीर के हिस्से गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ बना. मान्यता है कि भगवान शिव जब सती के मृत शरीर को लेकर भटक रहे थे, तो माता सती के दाहिने कान की मणि यहीं गिरी थी. इसलिए इसे मणिकर्णिका घाट भी कहा जाता है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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