Navratri Navami 2023: चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन ही मान्यतानुसार रामनवमी (Ram Navami) भी मनाई जाती है. नवरात्रि की नवमी पर घर में नौ कन्याओं को बुलाकर कंजक (Kanjak) खिलाते हैं. इस कन्यापूजन को बेहद शुभ माना जाता है और कहा जाता है कि कन्यापूजन करने से देवी मां अत्यधिक प्रसन्न होती हैं. इस दिन मां सिद्धिदात्री का पूजन होता है जिसके पश्चात कन्यापूजन किया जाता है. कन्यापूजन में छोटी बालिकाओं के साथ एक लड़का भी बिठाते हैं. कहते हैं बालिकाएं साक्षात मां दुर्गा (Maa Durga) का रूप होती हैं और इनकी पूजा कर भोजन खिलाना स्वयं मां दुर्गा का चित्त प्रसन्न कर देता है. यहां जानिए नवमी तिथि पर किस मुहूर्त में कन्यापूजन किया जा सकता है.
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नवमी कन्यापूजन का शुभ मुहूर्त | Navami Kanya Pujan Shubh Muhurt
नवमी के दिन चौधड़िया मुहूर्त में कन्यापूजन करना बेहद शुभ माना जाता है. आज सुबह 10 बजकर 52 मिनट से लेकर 12 बजकर 25 मिनट तक कन्यापूजन का बेहद शुभ मुहूर्त बन रहा है. इस मुहूर्त में कन्यापूजन करने पर माता रानी की विशेष कृपा मिल सकती है. यदि इस मुहूर्त में किसी कारणवश कन्यापूजन नहीं किया जा सके तो चिंतित होने की आवश्यक्ता नहीं है क्योंकि नवमी के दिन मान्यतानुसार पूरे दिन में कभी भी बालिकाओं को कंजक खिलाई जा सकती है. मां का आशीर्वाद भक्तों को दोनों ही स्थितियों में मिलता है.
कन्यापूजन करने से पहले मां दुर्गा के नौवे रूप मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा की जाती है. मां सिद्धिदात्री की पूजा के लिए सुबह उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं और मां सिद्धिदात्री का स्मरण कर व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके पश्चात माता की चौकी सजाई जाती है, पूजा की जाती है, आरती गाते हैं और मां को भोग लगाया जाता है. इसी भोग को कंजक में प्रसाद स्वरूप खिलाते हैं.
कन्यापूजन करने के लिए घर में नौ कन्याओं को बुलाया जाता है. कन्याओं के चरण थाली में रखकर साफ पानी से धोए जाते हैं. माना जाता है कि बालिकाएं साक्षात मां दुर्गा का रूप होती हैं इसीलिए उनकी पूजा भी उसी तरह की जाती है. अब बालिकाओं के हाथों में कलावा बांधा जाता है और माथे पर टीका लगाते हैं. इसके बाद प्रसाद (Prasad) में चना, हलवा और पूरी के साथ नारियल का टुकड़ा परोसते हैं. अपनी श्रद्धा के अनुसार कोई उपहार, साज-श्रृंगार की वस्तु या फिर पैसे कन्याओं को दिए जाते हैं.
कन्यापूजन का अंत कन्याओं के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेने से होते हैं. कन्यापूजन हो जाने के बाद गाय को पूड़ी खिलाना भी बेहद अच्छा माना जाता है. इस दिन इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि बच्चियों पर चिल्लाया ना जाए व उनसे आदर व प्रेम से पेश आएं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)