Masik Kalashtami 2024: काल भैरव को प्रसन्न करना है तो मासिक कालाष्टमी के दिन भूलकर भी न करें ये काम

काल भैरव उग्र देव हैं, इसलिए कहा जाता है कि उनकी पूजा पूरी तरह विधिवत होनी चाहिए, जातक द्वारा पूजा में हुई गलतियों से वे नाराज हो जाते हैं.

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हर माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मासिक कालाष्टमी मनाई जाती है.

Kalashtami 2024: सनातन धर्म में काल भैरव को भगवान शिव का उग्र रूप कहा गया है. हर माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मासिक कालाष्टमी (Masik Kalashtami) मनाई जाती है और इस दिन काल भैरव की विधिवत पूजा और व्रत किया जाता है. कहा जाता है कि कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा करने पर शनिदेव और राहु के प्रभावों से जातक को मुक्ति मिल जाती है. काल भैरव को तंत्र-मंत्र का देव कहा गया है और तंत्र-मंत्र की विद्या सीखने वाले लोग कालाष्टमी पर काफी श्रद्धा से काल भैरव (Kaal Bhairav) की पूजा करते हैं. चूंकि काल भैरव उग्र देव हैं, इसलिए कहा जाता है कि उनकी पूजा पूरी तरह विधिवत होनी चाहिए, जातक द्वारा पूजा में हुई गलतियों से वे नाराज हो जाते हैं. चलिए जानते हैं कि कालाष्टमी की पूजा के दौरान किस तरह की गलतियों से बचना चाहिए.

कब है कालाष्टमी | Kalashtami Date 2024

इस माह कालाष्टमी 30 मई को मनाई जा रही है. अष्टमी तिथि 30 मई की सुबह 10 बजकर 13 मिनट पर आरंभ हो रही है और इसका समापन 31 मई की सुबह 8 बजकर 8 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, कालाष्टमी का व्रत 30 मई यानी गुरुवार को ही रखा जाएगा. इस दिन निशिता मुहूर्त में काल भैरव की पूजा की जाएगी.

कालाष्टमी की पूजा में ना करें ये गलतियां 

कालाष्टमी पर काल भैरव की पूजा (Kaal Bhairav Puja) करने वाले जातक को कई तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए. जातक को शुद्ध शाकाहारी रहना चाहिए. शराब और मांस का सेवन नहीं करना चाहिए. ना किसी से अपशब्द बोलें और ना किसी को हानि पहुंचाएं. इस दिन किसी पशु, पक्षी या जीव को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए. इस दिन क्रोध, झूठ और ईर्ष्या करने से भी बचना चाहिए. कहा जाता है कि इस दिन नुकीली वस्तुओं से दूर रहना चाहिए.

इस तरह मिलेगी काल भैरव की कृपा  

अगर आपको काल भैरव की कृपा पानी है तो कालाष्टमी के दिन काल भैरव की विधिवत पूजा करते समय उनको, चंदन, फूल माला और इत्र अर्पित करना चाहिए. इस दिन काल भैरव के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए. काल भैरव को पूजा के समय मिठाई का भोग लगाना चाहिए और पूजा के उपरांत भैरव अष्टक का पाठ करना चाहिए. इस पाठ से काल भैरव प्रसन्न होते हैं और जातक को अपनी कृपा आशीर्वाद में देते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)  

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