रुक्मिणी के अलावा भगवान श्री कृष्ण की आखिर कितनी पटरानियां थीं? जानें सिर्फ एक क्लिक में

Lord Krishna Wives Name: हरि अनंत हरि कथा अनंता की तरह पूर्णावतार माने जाने वाले श्री कृष्ण की लीलाएं भी अनंत हैं. उनकी इन्हीं लीलाओं से प्रेरित हो कर किसी ने उन्हें अपना सखा तो किसी ने अपना गुरु तो किसी ने उन्हें अपना पति ही मान लिया. आइए जानते हैं भगवान श्री ​कृष्ण की कुल कितनी पत्नियां थीं.

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भगवान श्री कृष्ण की कितनी पत्नियां थीं?

How many wives of Lord Krishna: भगवान श्री कृष्ण को श्री हरि का पूर्णावतार माना जाता है. जिन्होंने पृथ्वी पर धर्म को स्थापित करने और अधर्म का नाश करने के लिए द्वापरयुग में अवतार लिया था. कान्हा के जन्म के साथ ही उनकी लीलाएं प्रारंभ हो गईं थीं, जिनमें कभी सखा तो कभी मित्र तो कभी गुरु तो कभी द्वारकाधीश की भूमिका में नजर आते हैं. कृष्ण की कथा में उनकी 16108 पत्नियों का वर्णन मिलता है, लेकिन इनमें रुक्मिणी के अलावा भी कई पाटरानियां थीं. आइए कृष्ण की सभी 8 पटरानियों के बारे में जानते हैं.

भगवान श्री कृष्ण की 8 पटरानियां

भगवान श्री कृष्ण की कुल आठ पटरानियां थीं. जिनमें रुक्मिणी उनकी पहली पटरानी थीं. भगवान श्री कृष्ण ने रुक्मिणी के आवेदन पर उनका हरण करके विवाह किया था. वहीं दूसरी पत्नी का नाम जांबवती था जो कि ऋक्षराज जांबवान की कन्या थीं. भगवान श्री कृष्ण की तीसरी पत्नी का नाम सत्यभामा जो कि सूर्यभक्त सत्रजित की पुत्री थीं. मुरली मनोहर कृष्ण की चौथी पत्नी का नाम कालिंदी यानि यमुना था, जो कि सूर्यदेव की पुत्री हैं.

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भगवान श्री कृष्ण ने काशी के राजा नग्नजित की पुत्री सत्या से पांचवां विवाह किया था. जिसने प्रण किया था कि जो कोई उसके 7 बलशाली बैलों को एक साथ नाथ देगा, वे उसके साथ अपनी पुत्री का विवाह कर देंगे. इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने उन बैलों को एक साथ नाथ कर सत्या से विवाह किया था. भगवान श्री कृष्ण ने उज्जैन के राजा की पुत्री ​मित्रन्दा, भय देश के राज ऋतुसुकृति की कन्या भद्रा और भद्र देश के राजा की कन्या लक्ष्मणा ने स्वयंवर के दौरान श्रीकृष्ण के गले में वरमाला डालकर उन्हें अपना जब पति मान लिया तो श्री कृष्ण ने भी उन्हें उनके साथ विवाह करके अपनी छठवीं, सातवी और आठवीं पटरानी के रूप में दर्जा दिया.

कृष्ण ने क्यों किया 16 हजार कन्याओं से विवाह

पौराणिक मान्यता के अनुसार जब एक बार नरकासुर नाम के राक्षस ने 16 हजार कन्याओं की बलि देने के लिए उन्हें बंदी बना लिया था. जब यह बात श्री कृष्ण को पता चली तो उन्होंने उसका वध करके उन सभी कन्याओं को मुक्त कराया, लेकिन इसके बाद उनके परिजनों ने उन कन्याओं को अपनाने से इंकार कर दिया. तब योगेश्वर कृष्ण ने अपनी योगमाया से 1600 रूप धारण करके उनके साथ विवाह रचाया. मान्यता है कि उसके बाद सभी कन्याओं ने मुरली मनोहर को अपना पति मानकर आजीवन उनकी भक्ति की.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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