Jagannath Rath Yatra 2022: पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा 01 जुलाई, 2022 यानी आज से शुरू हो रही है. इस रथ यात्रा (Rath Yatra 2022) का समापन 12 जुलाई को होगा. इससे पहले 09 जुलाई को भगवान जगन्नाथ, बलराम जी और बहन सुभद्रा नगर भ्रमण के बाद अपने घर वापस आएंगे. कोरोना महामारी के कारण रथ यात्रा औपचारिक रूप से हो रही थी, लेकिन इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) का उत्सव धूमधाम से मानाया जाएगा. साथ ही इस बार पारंपरिक तरीके से रथ यात्रा निकाले जाने की तैयारी पूरी कर ली गई है. आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बलराम जी के साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं. रथ यात्रा में सबसे आगे बलराम जी का रथ, बीच में बहन सुभद्रा जी का रथ और आखिरी में जगन्नाथ जी का रथ होता है. आइए जानते हैं कि रथ यात्रा से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं क्या हैं.
ऐसे हुई रथ यात्रा की शुरुआत | How Rath Yatra started
जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra ) से जुड़ी एक पौराणिक मान्यता के अनुसार, बहन सुभद्रा जी ने अपने दोनों भाइयों कृष्ण और बलराम जी से नगर भ्रमण की इच्छा जाहिर की. उस समय दोनों भाई, बहन सुभद्रा को रथ में बैठाकर नगर भ्रमण के लिए निकले थे. इस दौरन वे अपनी मौसी गुंडिचा देवी के यहां सात दिनों तक रुके. फिर आगे की यात्रा पूरी करने के बाद पुरी वापस लौटे. मान्यता है कि तभी से रथ यात्रा की शुरुआत हुई.
इस भक्त की मजार पर रुकता है भगवान जगन्नाथ का रथ
पुरी (Puri) में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ का रथ एक मुस्लिम भक्त सालबेग की मजार पर कुछ समय के लिए रुकता है. इस बारे में प्रसंग आता है कि एक बार भगवान जगन्नाथ का यह मुस्लिम भक्त उनके दर्शन के लिए मंदिर नहीं पहुंच सका. श्री जगन्नाथ के उस भक्त के इंतकाल के बाद उसकी मजार बनी. कहा जाता है कि एक रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ जी का रथ उस मजार पर अचानक रुक गया और कुछ देर के लिए आगे नहीं बढ़ पाया. जिसके बाद उस मुस्लिम भक्त की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई, जिसके बाग रथ आगे बढ़ा. मान्यता है कि तब से प्रत्येक साल भगवान जगन्नाथ का रथ भक्त सालबेग की मजाक पर कुछ देर के लिए रुकता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)