Indira Ekadashi 2025: सभी पापों से मुक्ति दिलाता है इंदिरा एकादशी का व्रत, जानें इससे जुड़े अचूक उपाय

Indira Ekadashi 2025: सनातन परंपरा में इंदिरा एकादशी व्रत का क्या धार्मिक और पौराणिक महत्व है? इस व्रत को करने पर किस पुण्य की प्राप्ति होती है? इंदिरा एकादशी व्रत से जुड़े जिस सरल सनातनी उपाय को करने से सभी पाप दूर और श्री हरि का आशीर्वाद बरसता है, उसे जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

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Indira Ekadashi 2025: इंदिरा एकादशी व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त और उपाय
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Indira Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में जगत के पालनहार माने जाने वाले भगवान विष्णु की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. श्री हरि की पूजा के लिए प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष में पड़ने वाली एकादशी अत्यंत ही शुभ मानी गई है. हिंदू मान्यता के अनुसार इस पावन तिथि पर विधि-विधान से व्रत करने पर भगवान विष्णु शीघ्र ही प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं. एकादशी का महत्व तब और भी ज्यादा बढ़ जाता है जब यह आश्विन मास के कृष्णपक्ष में पड़ती है और इंदिरा एकादशी कहलाती है. आइए इंदिरा एकादशी व्रत का धार्मिक महत्व और उपाय जानते हैं. 

कब है इंदिरा एकादशी 

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की इंदिरा एकादशी कल 17 सितंबर 2025, बुधवार के दिन को मनाई जाएगी. इस दिन सूर्य कन्या राशि और चंद्रमा कर्क राशि में विराजमान रहेंगे. दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं होगा, जबकि राहुकाल दोपहर 12:15 बजे से 1:47 बजे तक रहेगा. इस समयावधि में शुभ कार्यों से बचना चाहिए.

इंदिरा एकादशी का धार्मिक महत्व

गरुड़ पुराण के अनुसार, इंदिरा एकादशी का व्रत जन्म-जन्मांतर के पापों को नष्ट करता है और मृत्यु के बाद आत्मा को उच्च लोक में स्थान दिलाता है. यह व्रत पितरों को नरक से मुक्ति दिलाकर वैकुंठ लोक की प्राप्ति कराता है. इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है.

पद्म पुराण में कहा गया है कि इस व्रत को करने से कन्यादान और हजारों वर्षों की तपस्या से भी अधिक पुण्य प्राप्त होता है, जो व्रती को मोक्ष के मार्ग पर ले जाता है.

इंदिरा एकादशी व्रत का उपाय 

  • इंदिरा एकादशी पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए कई सरल और प्रभावी उपाय किए जा सकते हैं, जिनमें दक्षिण दिशा में सरसों के तेल का दीपक जलाने से पितृ प्रसन्न होते हैं. एक काले कपड़े में रखकर काले तिल और दाल गाय को खिलाना पितरों को तृप्त करता है. पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाकर परिक्रमा करने से भी विशेष फल की प्राप्ति होती है.
  • विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ और 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः' मंत्र का जाप पितरों की आत्मा को शांति देता है. इसके अतिरिक्त, जरूरतमंदों को घी, दूध, दही और चावल का दान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है. इंदिरा एकादशी का पवित्र दिन पितरों के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है. इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से न केवल पूर्वजों को मुक्ति मिलती है, बल्कि व्रती का जीवन भी कल्याणमय बनता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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