Rudraksha Wearing Rules: हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक रुद्राक्ष (Rudraksha) को भगवान शिव (Lord Shiv) का अंश है. इसलिए शिवजी के भक्त इसे गले में धारण करते हैं. रुद्राक्ष (Rudraksha) की उत्पत्ति के बारे पौराणिक कथा है कि माता सती के शरीर त्यागने के बाद भगवान शिव के आंसू जहां-जहां गिरे वहां-वहां रुद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हो गए. मान्यता है कि उन वृक्षों में जो फल आए उसे रुद्राक्ष के रूप में जाना जाने लगा. कहा जाता है कि रुद्राक्ष धारण करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. साथ ही नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है. इसके अवाला यह भी बताया जाता है कि जहां रुद्राक्ष रहता है, वहां किसी प्रकार का अनिष्ट नहीं होता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कुछ कार्य करते वक्त रुद्रक्ष धारण नहीं किया जाता है.
रुद्राक्ष धारण करने के नियम | Rules for Wearing Rudraksha
धार्मिक मान्यता के मुताबिक रुद्राक्ष पहनकर शवयात्रा में जाना निषेध है. अगर किसी की अंतिम यात्रा में जा रहे हैं तो उसके पहले रुद्राक्ष (Rudraksha) को उतारकर भगवान के समक्ष रख देना चाहिए. इस बारे में कहा जाता है कि भोलेनाथ जन्म-मृत्यु से परे हैं. ऐसे में उनके अंश को जन्म और मृत्यु के जुड़े स्थान पर पहनकर नहीं जाना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से रुद्राक्ष की शक्ति नष्ट हो जाती है.
रुद्राक्ष पहनकर कभी भी प्रसूति कक्ष यानी जहां बच्चे का जन्म हुआ है, वहां नहीं जाना चाहिए. हालांकि जब बच्चे का जातकर्म संस्कार हो जाने के बाद यह नियम लागू नहीं होता है.
सोने से पूर्व रूद्राक्ष (Rudraksha) को गले से उतारकर स्वच्छ स्थान पर रख दिया जाता है. कहा जाता है कि जब व्यक्ति निद्रा की अवस्था में होता है तो शरीर अशुद्ध और निस्तेज रहता है. वैसे भी रुद्राक्ष की माला (Rudraksha Mala) पहनकर सोने से वह टूट सकता है. इसलिए भी सोते वक्त रुद्राक्ष को गले से उतार देने का विधान है.
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक रुद्राक्ष को काले धागे में पिरोकर धारण नहीं करना चाहिए. इसके अलावा रुद्राक्ष धारण करने वालों को तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए. दरअसल माना जाता है कि ऐसा करने से रुद्राक्ष अशुद्ध हो जाता है. साथ ही मदिरापान करने वालों को भी रुद्राक्ष धारण करने से परहेज करना चाहिए. कहा जाता है कि इन चीजों का सेवन करने से रुद्राक्ष का विपरीत असर हो सकता है.
शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार, दूसरों का पहना हुआ रुद्राक्ष कभी धारण नहीं किया जाता है. वहीं रुद्राक्ष की माला में उसके मनकों का भी विशेष ध्यान रखा जाता है. मनकों की संख्या हमेशा विषम होना चाहिए. कहा जाता है कि 27 मनकों से कम की माला नहीं होनी चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)