Heramb Sankashti Chaturthi 2025: कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष में मनाई जाने वाली चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेश जी की पूजा के लिए अत्यंत ही शुभ मानी जाती है, लेकिन जब यह चतुर्थी तिथि भाद्रपद मास में पड़ती है तो यह अत्यंत ही शुभ हेरंब संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानी जाती है. ऋद्धि-सिद्धि के दाता भगवान श्री गणेश जी की पूजा और व्रत के लिए अत्यंत ही फलदायी मानी जाने वाली हेरंब संकष्टी चतुर्थी जब मंगलवार के दिन पड़ती है तो अंगारकी चतुर्थी भी कहलाती है. आइए हेरंब संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि और धार्मिक महत्व जानते हैं.
हेरंब संष्टकी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार इस साल भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी 12 अगस्त 2025 को प्रात:काल 08:40 से प्रारंभ होकर 13 अगस्त 2025 को प्रात:काल 06:35 बजे तक रहेगी. ऐसे में चंद्रोदय के अनुसार यह पर्व 12 अगस्त 2025, मंगलवार को मनाया जाएगा. इस दिन चंद्रमा शाम को 08:59 बजे उदय होगा. गौरतलब है कि हेरंब संकष्टी चतुर्थी पर भगवान श्री गणेश की पूजा के साथ चंद्र देवता का दर्शन और पूजन भी शुभ माना गया है.
हेरंब संकष्टी चतुर्थी पूजा की विधि
भगवान हेरंब के लिए व्रत करने वाले साधक को इस दिन स्नान-ध्यान करके तन-मन से पवित्र हो जाना चाहिए. इसके बाद भगवान श्री गणेश की ईशान कोण में विधि-विधान से पूजा एवं उनके प्रिय चीजों जैसे मोतीचूर का लड्डू, मोदक, नारियल, गन्ना आदि का भोग लगाना चाहिए. चतुर्थी की पूजा में दूर्वा अवश्य अर्पित करें. विधि-विधान से पूजा करने के बाद साधक को गणपति की चालीसा, मंत्र, गणेश अष्टकं, आदि का पाठ करना चाहिए. इस दिन शाम के समय चंद्र देवता के दर्शन और उन्हें अर्घ्य जरूर अर्पित करें.
हेरंब संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा का मंत्र
हिंदू मान्यता के अनुसार किसी भी देवी या देवता के लिए व्रत या पूजा के दौरान जपे जाने वाले मंत्र का बहुत ज्यादा महत्व होता है. मान्यता है कि मंत्र जप से आराध्य देवता शीघ्र ही प्रसन्न होकर अपनी कृपा शीघ्र ही बरसाते हैं. ऐसे में हेरंब संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन भगवान हेरंब का मंत्र 'ॐ हेरम्बाय नमः' या फिर 'ॐ गं गणपतये नमः' का जप करना चाहिए.
हेरंब संकष्टी चतुर्थी व्रत का धार्मिक महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार हेरंब संकष्टी चतुर्थी का व्रत विघ्नहर्ता और सुखकर्ता भगवान श्री गणेश जी के हेरंब स्वरूप की पूजा के लिए समर्पित है, जो मूषक की सवारी करने के बजाय शेर की सवारी करते हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार सूर्य के उदय होने से लेकर शाम को चंद्रोदय तक रखा जाने वाला यह व्रत अत्यंत ही पुण्यदायी माना गया है. मान्यता है कि गणपति इस व्रत को करने वाले साधक पर अपनी पूरी कृपा बरसाते हुए उसके सारे दु:ख हर लेते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)