Hal Shashti 2022: हलछठ कब है, यहां जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Hal Shashti 2022: हल छठ भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन महिलाएं अपने संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं.

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Hal Shashti 2022: हल षष्ठी व्रत के दिन पुत्रवती महिलाएं व्रत रखती हैं.

Hal Shashti 2022: हल छठ भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है. इस हलषष्ठी, ललई छठ, हलछठ या ललही छठ के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि हलछठ का व्रत (Hal Shashti Vrat 2022) रखने से संतान की आयु लंबी होती है. यही कारण है कि इस दिन महिलाएं अपने संतान की लंबी उम्र की कामना से व्रत रखती हैं. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से पुत्र को संकटों से मुक्ति मिल जाती है. आइए जानते हैं कि अगस्त महीने में हलछठ कब है और हलषष्ठी की पूजा (Hal Shashti Puja) विधि क्या है. 

हल छठ 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त | Hal Shashti 2022 Date and Shubh Muhurat

हलछठ (Hal Shashti) का पर्व भाद्रपद यानी भादो मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इस बार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 17 अगस्त, बुधवार को शाम 6 बजकर 50 मिनट से शुरू होगी. जबकि षष्ठी तिथि का समापन 18 अगस्त को रात्रि 8 बजकर 55 मिनट पर होगा. वहीं उदया तिथि के मुताबिक हल षष्ठी का व्रत 18 अगस्त को रखा जाएगा.

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हलछठ 2022 पूजा विधि | Hal Shashti 2022 Puja Vidhi

हलछठ (Hal Shashti) के दिन महिलाएं महुआ पेड़ की डाली से दातून करती हैं. इसके बाद स्नान करके व्रत का संकल्प लेती हैं. इस दिन व्रती महिलाएं किसी भी प्रकार के अऩाज का सेवन नहीं करती हैं. पूजा स्थान को बेड़, पलाश, गूलड़ इत्यादि पेड़ों की टहनियों से सजाती हैं. इसके बाद पूजा स्थान पर एक चौकी रखकर उस पर कलश, गौरी-गणेश और हल षष्ठी माता की प्रतिमा स्थापित करती हैं. इसके बाद उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. हल षष्ठी माता को साड़ी समेत सुहाग की सामग्रियां अर्पित की जाती हैं. इसके साथ ही पूजन सामग्रियों में बिना हल जुते जमीन से उपजे अनाज, महुआ के पत्ते, धान की लाई, भैंस का दूध, दही, घी इत्यादि का इस्तेमाल किया जाता है. पूजा के वक्त बच्चों के खिलौनों जैसे- भौरा, बाटी इच्यादि भी रखे जाते हैं. 

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हल छठ व्रत का महत्व | Hal Shashti 2022 Importance

पौराणिक मान्यता है कि इस दिन श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था. यही कारण है कि इस दिन महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए व्रत रखती हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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