Har Chhath 2024: पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह में हलछठ का व्रत रखा जाता है. इसे ललही छठ, बलदेव छठ, चंदन छठ, तनिछठी छठ, रंधन छठ और तिन्नी छठ के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि सप्तमी युक्त हलषष्टी का योग बनता है और इसीलिए हलछठ पर्व मनाया जाता है. मान्यतानुसार हलछठ के दिन ही बलराम जी का जन्म हुआ था. बलराम (Balram) श्रीकृष्ण के के बड़े भाई थे. हर साल जन्माष्टमी से दो दिन पहले हलछठ का पर्व मनाया जाता है. अधिकतर पुत्रवती स्त्रियां इस व्रत को रखती हैं. ज्योतिष के अनुसार, इस साल 25 अगस्त यानी आज के दिन हलछठ का व्रत रखा जाना है. जानिए इस व्रत के शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में.
बेहद शुभ है इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का योग, भगवान के जन्म के वक्त भी यही था संयोग
हलछठ का शुभ मुहूर्त | Hal Chhath Shubh Muhurt
पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 24 अगस्त की दोपहर 12 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 25 अगस्त की सुबह 11 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में हलषष्ठी व्रत या हलछठ व्रत आज रखा जाएगा.
हलछठ की पूजा सामग्री में महुए का फल, फूल, पत्ते, लाल चंदन, कुश, चावल, मिट्टी का दीपक, ज्वार की धानी, पलाश, झरबेरी, सात प्रकार के अनाज और भुने चले शामिल किए जाते हैं. इस दिन कुल्हड़ और मटके की पूजा भी की जाती है.
मान्यतानुसार हलछठ का व्रत (Hal Chhath Vrat) पुत्रवती स्त्रियां रखती हैं. सुबह उठकर स्नान पश्चात व्रत का संकल्प लिाय जाता है. इस दिन महिलाएं मिट्टी के बर्तनों में भुने अनाज और मेवे रखे जाते हैं. मिट्टी में गड्ढा बनाया जाता है और उसकी गोबर से लिपाई करते हैं. इस गड्ढे को तालाब का रूप दिया जाता है. अब पूजा करने के लिए झरबेरी और पलाश की शाखा लेकर बांधी जाती है और मिट्टी में गाढ़ देते हैं. इसके बाद पूजा करते हुए भुने चने और जौ की बालियां चढ़ाई जाती हैं. सभी पूजा सामग्री एक-एक करके इस मिट्टी में अर्पित की जाती हैं. पूजा संपन्न हो जाने के बाद रात के समय चंद्रमा को देखकर व्रत खोला जाता है.
हलछठ की पूजा अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरह से की जाती है. यह भी माना जाता है कि इस दिन हल से जोतकर उगाए गए अनाज और सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए. भैंस का दूध पीने से भी इसदिन परहेज करना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)