Harikrishan Jayanti 2023: सिख समुदाय में दस गुरु हुए हैं और सभी गुरुओं का बहुत महत्व है. सिखों के आठवें गुरु (Eighth Sikh Guru) श्री गुरु हरकिशन जी के प्रकाशोत्सव के अवसर पर हर साल गुरु हरकिशन जयंती (Guru Harkrishan Jayanti) मनाई जाती है. इस वर्ष 23 जुलाई रविवार को गुरु हरकिशन जयंती मनाई जाएगी. बहुत कम उम्र में गुरु की गद्दी संभालने और ऊंच नीच और जाति का भेदभाव मिटाने के कारण उन्हें बाला पीर (Bala Pir) कहा जाता था. आइए जानते हैं गुरु हरकिशन के जीवन के बारे में.
बाल गुरु रूप में हरकिशन जी
गुरु हरकिशन जी विशेष रूप से बाल गुरु के रूप में जाने जाते हैं. उनका जन्म 7 जुलाई 1665 में पंजाब के किरतारपुर साहिब में हुआ था. केवल पांच वर्ष की आयु में उन्हें गद्दी प्राप्त हो गई थी. गुरु के पिता हरिराय सिखों के सातवें गुरु थे. बचपन से ही गुरु हरकिशन जी बहुत गंभीर और आध्यात्मिक प्रवृति के थे. किरतारपुर में जहां उनके जन्मस्थान पर शीशसाहेब गुरुद्वारा बनाया गया है.
बंगला साहिब में किया था आराम
नई दिल्ली में कई ऐतिहासिक गुरुद्वारे हैं लेकिन, बंगला साहिब का महत्व बहुत अधिक है. यह पहले राजा जय सिंह का महल हुआ करता था. यहां आठवें गुरु हरकिशन जी ने आराम किया था. जब वे दिल्ली पहुंचे तो वहां चेचक नाम की बीमारी फैली थी. गुरु इस महल में रुक कर बीमारों की सेवा की थी. जहां वो खुद भी बीमारी की चपेट में आ गए थे.
ऐसे मनाई जाती है गुरु हरकिशन जयंती
गुरु हरकिशन जयंती पूरे धार्मिक उत्साह के साथ मनाई जाती है. सिख समुदाय के लोग गुरुदद्वारे जाकर मत्था टेकते हैं. इस अवसर पर गुरुद्वारे बंगला साहिब में विशेष समारोह का आयोजन किया जाता है. भक्त गुरुद्वारे में गुरबाणी का जाप करते हैं. इस अवसर पर देश भर के गुरुद्वारों में विशेष लंगर का आयोजन किया जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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