Goga dev navami 2022 : मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा सहित हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में गोगा नवमी (goga navami) का पर्व मनाया जाता है. आज के दिन राजस्थाना के हनुमानगढ़ जिले के गोगामेड़ी नाम के शहर में मेले का आयोजन किया जाता है. इस त्योहार की खूबसूरती है कि इसे हिंदू (hindu) और मुस्लिम (muslim) दोनों मिलकर मनाते हैं. इस पर्व को लोग संतान प्राप्ति के लिए भी मनाते हैं. इस त्योहार को लेकर यह भी मान्यता है कि इससे सर्पदंश का डर नहीं रहता है. इसके अलावा क्या क्या मान्यताएं चलिए जानते हैं.
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गोगा देव नवमी की कथा
गोगा नवमी को सुबह में स्नान करके गोगा देव की प्रतिमा जिसमें वह घोड़े पर सावर हैं लेकर आएं. फिर कुमकुम, रोली, चावल, फूल, गंगाजल आदि से गोगादेव की पूजा करें. खीर, चूरमा , गुलगुले का भोग लगाएं. यह उनको बहुत पसंद था. इसके अलावा आप चना भी चढ़ा सकते हैं. इस दिन गोगा देव की कथा श्रद्धापूर्वक सुनें और मनोकामना पूर्ति के लिए उनसे कामना करें. कुछ जगहों पर तो सांप की भी पूजा की जाती है.
गोगादेव की जन्म कथा
ऐसी मान्यता है कि गोगा जी की मां बछला देवी को कोई संतान नहीं थी. तभी एक दिन गोगामड़ी में गुरु गोरखनाथ तपस्या करने आए, तब बछला देवी गोरखनाथ के पास गई और संतान ना होने का दुख बताया जिसके बाद गोरखनाथ ने उन्हें एक फल खाने के दिया और उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दिया. उन्होंने कहा कि तुम्हारा पुत्र वीर होगा, सिद्धियोगी रहेगा, सांपो को वश करने वाला होगा. जब बछला देवी को पुत्र हुआ तो उन्होंने उसका नाम गोगा रखा जो बाद में गोरखनाथ के प्रिय शिष्य हुए. इनका नाम लेने से सांप कोसों दूर भागते हैं.
आपको बता दें कि गोगा देव को हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग मानते हैं. मुस्लिम लोग इसे जाहर पीर के नाम से जानते हैं. इसके अलावा गुग्गा वीर, राजा मण्डलीक के नाम से भी जाना जाता है. गोगादेव की जन्मभूमि पर आज भी घोड़ों का अस्तबल है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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