Geeta Jayanti 2021: आज मोक्षदा एकादशी के दिन है गीता जयंती, जानिये पूजा विधि और महत्व

Geeta Jayanti: सनातन धर्म में गीता को पवित्र ग्रंथ माना गया है. इस ग्रंथ के रचनाकार वेदव्यास जी हैं. धर्म में हर त्योहार और व्रत का विशेष महत्व है. मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन गीता जयंती मनाई जाती है.

विज्ञापन
Read Time: 7 mins
Geeta Jayanti 2021: गीता जयंती कब है, जानिए क्यों मनाते हैं यह जयंती
नई दिल्ली:

सनातन धार्मिक ग्रंथों व पुराणों में वर्णित है कि भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र में परम मित्र अर्जुन को गीता उपदेश दिया था. इसके लिए गीता जयंती का विशेष महत्व है. खासकर मार्गशीर्ष यानी अगहन का महीना बेहद शुभ होता है.  हिंदी पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है. इस प्रकार 14 दिसंबर को गीता जयंती है. सनातन धर्म में गीता को पवित्र ग्रंथ माना गया है. इस ग्रंथ के रचनाकार वेदव्यास जी हैं. धर्म में हर त्योहार और व्रत का विशेष महत्व है.

गीता जयंती के दिन गीता को पढ़ना या सुनना अत्यंत ही शुभ माना जाता है. इस दिन मोक्षदा एकादशी रहती है अत: व्रत करने का बेहद महत्व माना जाता है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण की आराधना और पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं. गीता जयंती के दिन मंदिरों में भी गीता का पाठ किया जाता है. आप चाहें तो वहां जाकर भी गीता सुन सकते हैं. इस दिन गीता पाठ करने और मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती है.

गीता जयंती की तिथि

मार्गशीर्ष महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 13 दिसंबर को रात्रि 9 बजकर 32 मिनट पर होगी और अगले दिन यानी 14 दिसंबर को रात्रि 11 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी. 14 दिसंबर को दिनभर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा उपासना कर सकते हैं साधक.

भगवान शिव के उग्र स्वरूप का नाम है कालभैरव, पूजन के समय इस चालीसा का करें पाठ

गीता जयंती महत्व

पुराणों में वर्णित है कि भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र में परम मित्र अर्जुन को गीता उपदेश दिया था. गीता में 18 अध्याय हैं, जिसमें व्यक्ति के जीवन का संपूर्ण सार बताया गया है. इसके साथ ही गीता के अध्यायों में धार्मिक, कार्मिक, सांस्कृतिक और व्यहवाहरिक ज्ञान भी दिया गया है. मान्यता है कि गीता का अध्ययन और अनुसरण कर व्यक्ति की दिशा और दशा दोनों को ही बदला जा सकता है.

Shambhu Stuti: भगवान शिव के शम्भुं स्वरूप का पूजन करते समय इस स्तुति करें का पाठ

गीता जयंती पूजा विधि

  • गीता जयंती के दिन साधक को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए और भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करना चाहिए.
  • इसके बाद एक साफ चौकी पर भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करनी चाहिए.
  • भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करने के बाद उनके चरणों में भगवद् गीता को रखें.
  • इसके बाद श्रीमदभगवत गीता पर गंगा जल छिड़कें और भगवान श्री कृष्ण व भगवद गीता का रोली से तिलक करें.
  • रोली से तिलक करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण और श्रीमदभगवत गीता पर फूल अर्पित करें.
  • इसके बाद भगवान श्री कृष्ण की धूप व दीप से आरती उतारें और उन्हें मिठाई का भोग लगाएं.
  • भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के बाद श्रीमदभगवत गीता को हाथ से उठाकर माथे पर लगाएं और उसका पाठ करें या सुनें.
  • गीता जयंती के दिन मंदिरों में भी गीता का पाठ किया जाता है. आप चाहें तो वहां जाकर भी गीता सुन सकते हैं.
  • श्रीमदभगवत गीता को पढ़ने के बाद उसे आदर सहित उसके स्थान पर रख दें.
  • यदि संभव हो तो इस दिन किसी ब्राह्मण को गीता का दान अवश्य करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Asanas for Lungs, Breathing Problem | 5 योगासन जो फेफड़े बनाएंगे मजबूत

Featured Video Of The Day
Jharkhand के CM Hemant Soren की PM को चिट्ठी, करोड़ो बकाया लौटाने की मांग...