Ganga Dussehra 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का शुभ पर्व है. मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि पर मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं थीं. वहीं, इस साल यह खास तिथि आज यानी 5 जून को पड़ रही है. ऐसे में आज गंगा दशहरा का पावन त्योहार मनाया जा रहा है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा दशहरा पर गंगा नदी में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसे में आइए जानते हैं आज गंगा दशहरा पर स्नान का शुभ मुहूर्त, साथ ही जानेंगे गंगा दशहरा के कुछ खास उपाय.
गंगा दशहरा 2025 शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, दशमी तिथि की शुरुआत 4 जून की देर रात 11 बजकर 54 मिनट पर हुई. इसका समापन 5 जून की देर रात 2 बजकर 16 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 5 जून को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जा रहा है. वहीं, गंगा दशहरा के दिन स्नान करने का ब्रह्म मुहूर्त 5 जून की सुबह 05 बजकर 12 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. माना जा रहा है कि इस समय स्नान करने से पुण्य कई गुना अधिक फलदायी होगा.
गंगा जल से स्नान
अगर आपके लिए गंगा तट पर जाना संभव न हो, तो घर में ही पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें. माना जाता है कि गंगा दशहरा पर गंगा जल से स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है, नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है.
गंगा दशहरा पर दान करना अत्यंत शुभ माना गया है. इससे दरिद्रता दूर होती है. इसमें भी विषेश रूप से गेहूं, चावल, गुड़, नमक, घी, चीनी, फल, वस्त्र, पंखा, जल का दान सबसे शुभ माना गया है.
दक्षिणावर्ती शंख में गंगा जल भर कर उससे भगवान विष्णु का अभिषेक करें. माना जाता है कि ऐसा करने भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी हमेशा प्रसन्न होते हैं और आर्थिक संकट दूर होते हैं.
मान्यताओं के अनुसार, गंगा दशहरा पर शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाने से पितृ दोष और ग्रह दोष शांत होते हैं.
गंगा स्तोत्र और गंगा आरती का पाठगंगा माता की स्तुति या आरती करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं. ऐसे में गंगा दशहरा पर गंगा स्तोत्र और गंगा आरती का पाठ जरूर करें.
यहां पढ़ें मां गंगा की आरती (Maa Ganga Arti)ॐ जय गंगे माता,
श्री जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता,
मनवांछित फल पाता।
चन्द्र सी ज्योत तुम्हारी,
जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी,
सो नर तर जाता।
पुत्र सगर के तारे,
सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि तुम्हारी,
त्रिभुवन सुख दाता।
एक ही बार जो तेरी,
शारणागति आता।
यम की त्रास मिटा कर,
परमगति पाता।
आरती मात तुम्हारी,
जो जन नित्य गाता।
दास वही सहज में,
मुक्ति को पाता।
ॐ जय गंगे माता,
श्री जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता,
मनवांछित फल पाता।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)