रावण की 10 खास बातें जो आपको जानना चाहिए (10 Amazing facts about Ravana)
Dussehra 2025 10 Interesting Facts about Ravana: सनातन परंपरा में दशहरा या फिर कहें विजयादशमी पर्व का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. यह पर्व भगवान राम की लंकापति रावण पर विजय से जुड़ा हुआ है. पौराणिक कथाओं में जब कभी भी रावण का नाम लिया जाता है तो उसकी अटूट भक्ति और अहंकार दोनों की चर्चा जरूर होती है. एक ओर जहां उसने कठिन तप बल के जरिए तमाम तरह की सिद्धियां और वरदान प्राप्त किए, वहीं उसका अहंकार ही उसके मृत्यु का सबसे बड़ा कारण बना. तमाम बुराईयों वाले रावण से जुड़ी ऐसी कौन सी बातें हैं जो आज भी लोगों को सीख देती हैं? आइए दशानन रावण से जुड़ी 10 बड़ी बातों को जानते हैं.
- रावण के पिता का नाम महर्षि विश्रवा और माता का नाम कैकसी था. महर्षि विश्रवा जहां महान तपस्वी थे वहीं कैकसी सुमाली नामक राक्षस की पुत्री थी. इन दोनों की संतान रावण जहां महाक्रूर और अभिमानी तो वहीं विभीषण धर्मत्मा हुआ.
- हिंदू मान्यता के अनुसार मायावी रावण के दस सिर थे. जिसे आज के दौर में दस अवगुणों यानि काम, क्रोध, लोभ, मोह, द्वेष, घृणा, पक्षपात, अहंकार, व्यभिचार और धोखा के रूप में जाना जाता है.
- रावण के दस सिरों को लेकर एक और मान्यता है कि उसने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपने सिर को 10 बार काटकर चढ़ाया था, लेकिन हर बार शिव कृपा से वह जुड़ जाता था. इस घटना के बाद रावण को दशानन कहा जाने लगा.
- रावण ने अपने तपबल से ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान प्राप्त किया था. उसने ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान मांगते वक्त कहा कि उसकी मृत्यु किसी देवता, गंधर्व यक्ष आदि से न हो लेकिन उसने इसमें मनुष्य और वानर को नहीं जोड़ा क्योंकि वह इन्हें तुच्छ समझता था. यही अभिमान बाद में उसकी मृत्यु का कारण बना.
- मान्यता है कि राम और रावण के बीच हुए युद्ध में विभीषण को छोड़कर उसके सभी पुत्र, सभी भाई समेत राक्षसी सेना का अंत हो गया था.
- जिस सोने की लंका में रावण राज किया करता था, वह उसने नहीं बनवाई थी, बल्कि वह कुबेर के पास थी और उसे भगवान विश्वकर्मा ने महादेव के कहने पर बनाया था. रावण ने अपने छोटे भाई कुबेर से इसे बलपूर्वक छीन लिया था.
- मान्यता है कि रावण ने अपने पुत्र मेघनाथ के जन्म के समय सभी ग्रहों को अनुकूल करने के लिए उन्हें अपने वश में करना चाहा, ताकि उसके पुत्र के लिए शुभ योग का निर्माण हो सके, लेकिन शनिदेव बार-बार अपनी स्थिति बदल रहे थे, जिससे नाराज होकर रावण को अपने पैरों के नीचे दबा लिया था. बाद में लंका दहन के समय पवनपुत्र हनुमान जी ने उन्हें मुक्त कराया था.
- तमाम बुराईयों के साथ रावण में कई खूबियां भी थीं. हिंदू मान्यता के अनुसार रावण को तमाम तरह की विद्या, तंत्र-मंत्र, ज्योतिष, गीत-संगीत आदि का ज्ञान था. वह परम तपस्वी था. अपने तपबल से उसने कई वरदान भी प्राप्त किए थे.
- रावण की विद्वता के बारे भगवान श्री राम अच्छी तरह जानते थे. यही कारण है कि जब वह अपनी अंतिम सांसे ले रहा था तो उन्होंने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को उसके पास ज्ञान लेने के लिए भेजा था. तब रावण ने लक्ष्मण को कहा था कि शुभ कार्य में देरी नहीं करनी चाहिए, उसे अतिशीघ्र ही कर लेना चाहिए.
- रावण का विवाह मन्दोदरी से हुआ था. जिसका जन्मस्थल जोधपुर के पास मंडोर को माना जाता है. रावण और मंदोदरी से मेघनाथ (इंद्रजीत) समेत अतिकाय, अक्षयकुमार, नरान्तक, देवान्तक, त्रिशिरा और प्रहस्त नामक संतान हुई. इनमें मेघनाथ काफी शक्तिशाली था. इंद्र पर विजय पाने के कारण उसे इंद्रजीत कहा गया. (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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