Dohrighat: दोहरीघाट को कहा जाता है घाटों का घाट, पौराणिक काल से जुड़ा है शिवजी की संबंध

Dohrighat: दोहरीघाट की प्रासंगिकता पौराणिक काल से है. दोहरीघाट के समीप सरयू नदी में चांदी का शिवलिंग मिला है.

विज्ञापन
Read Time: 16 mins
Dohrighat: यहां भगवान श्रीराम ने की भगवान शिव और माता गौरी की स्थापना की थी.

Dohrighat: दोहरीघाट का शिव मंदिर पौराणिक काल से आस्था केंद्र रहा है और आज भी इस घाट की प्रासंगिकता कम नहीं हुई है. यहां गौरीशंकर घाट पर स्थित शिवजी का मंदिर बेहद प्रचीन माना जाता है. सावन में भक्तों का तांता लगा रहता है. श्रद्धालु दूर-दूर से गंगाजल लाकर यहां शिवजी को अर्पित करते हैं. दरअसल उत्तर प्रदेश के मऊ जिला मुख्यालय से तकरीबन 43 किलोमीटर की दूरी पर दोहरीघाट स्थित है. आजकल यह घाट काफी चर्चा में है. सावन के दौरान बीते शुक्रवार को दोहरीघाट नगर के सरयू नदी में चांदी का एक शिवलिंग मिला है. आइए जानते हैं कि दोहरीघाट का पौराणिक महत्व क्या है. 

क्यों खास है दोहरी घाट | Why is the Dohrighat Special

दोहरीघाट को लेकर मान्यता है कि यहां सावन शिवरात्रि के दिन जलाभिषेक करने से भक्तों की ईच्छा पूरी होती है. यहां सावन शिवरात्रि के दिन भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. यहां गौरीशंकर घाट पर भगवान शिव और मां जानकी का मंदिर है. दोहरीघाट से तात्पर्य यह है कि यहां भगवान विष्णु को दो अवतारों का मिलन हुआ था. पौराणिक कथा है कि माता सीता के स्वयंवर के दौरान भगवान शिवजी का धनुष टूटने पर उनके भक्त परशुराम अत्यधिक क्रोधित हो गए थे. प्राचीन काल में मिथिला से अयोध्या का मार्ग होकर ही हुआ करता था. जब भगवान श्रीराम मिथिला से विवाह के बाद लौट रहे थे तो उस वक्त सरयू नदी के किनारे इसी घाट पर भगवान श्रीराम और परशुराम जी की भेंट हुई थी. यहीं पर श्रीराम और परशुराम के बीच संवाद हुआ था. इसलिए इस ऐतिहासिक स्थल को दोहरीघाट (दो हरि घाट) के नाम से जाना जाता है.

Hariyali Teej 2022: हरियाली तीज पर रवि योग का खास संयोग, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि

इसलिए चर्चा में है दोहरीघाट

सावन के दौरान बीते शुक्रवार को दोहरीघाट नगर के सरयू नदी में चांदी का एक शिवलिंग मिला है. स्थानीय लोगों के अनुसार, शिवलिंग का वजन तकरीबन 53 किलो है. इस शिवलिंग को स्थानीय पुलिस ने पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर अपने संरक्षण में ले लिया है. 

Advertisement

धार्मिक मान्यता है कि भगवान परशुराम जी के कहने पर प्रभु श्रीराम ने एक शिवलिंग की स्थापना की. इस शिवलिंग के समीप मां पार्वती (गौरी) की स्थापना भी की गई. इसलिए इस स्थान का नाम गौरीशंकर घाट पड़ा. इस शिवलिंग की खासियत है की यह बिना अरघे का है. यहां रविवार के दिन भक्तों का तांता लगा रहता है.

Advertisement

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

मॉनसून स्किन केयर टिप्स बता रही हैं ब्यूटी एक्सपर्ट भारती तनेजा

Featured Video Of The Day
PM Modi Kuwait Visit: 10 साल, 20 देशों से सम्मान, PM मोदी ने रचा नया इतिहास
Topics mentioned in this article