Lord Hanuman: संकट को हरने वाले हनुमान जी, बजरंगबली, पवन पुत्र, मारुति जैसे कई नामों से जाने जाते हैं. हनुमान जी को रुद्रावतार यानी भगवान शिव का अवतार कहा जाता है. रामायण, श्रीरामचरितमानस समेत कई धर्म ग्रंथों में हनुमान जी (Hanuman) का उल्लेख है. बताया गया है कि कैसे बजरंगबली ने खुद श्रीराम (Shri Ram) के संकटों को टाला था, माता सीता की खोज करने वाले भी बजरंगबली ही थे. हनुमान जी का सूर्य देव (Surya Dev) से भी नाता था और मान्यता है कि हनुमान जी उन्हें अपना गुरु मानते थे.
कहा जाता है कि बाल्यकाल में हनुमान जी मारुति के नाम से जाने जाते थे. वीर मारुति एक बार सूर्यदेव को फल समझकर खाने निकल पड़े थे. इस दौरान सभी देवता उन्हें देख रहे थे, देवताओं को भय हुआ कि अगर मारुति ने सूर्य को खा लिया तो प्रलय आ जाएगा. वहीं, उस समय सूर्यग्रहण भी था और राहु सूर्य भगवान को ग्रहण करने के लिए वहां पहुंचा, लेकिन मारुति ने अपनी गदा से उसे घायल कर दिया और वह सीधे देवराज इंद्र के पास पहुंचा. मारुति को रोकने के लिए इंद्र देव ने उन पर वज्र से प्रहार कर दिया. कथाओं के अनुसार, इस घटना में मारुति की हनु (ठुड्डी) टेढ़ी हो गयी. इस घटना से नाराज होकर पवन देव ने अपना प्रवाह रोक दिया. यह देखकर ब्रह्माजी (Brahma) ने हनुमान जी को स्वस्थ किया और उन्हें अमरत्व भी प्रदान किया. इसके साथ ही अग्नि-जल-वायु से अभय का वरदान दिया. इस प्रकार हनु के टेढ़ी हो जाने से मारुति का नाम 'हनुमान' पड़ा. उसी समय सूर्यदेव ने भी बजरंगबली को विद्या-दान का वर दिया था.
कथाओं के अनुसार, हनुमान जी जब सूर्य देव (Surya Dev) के पास शिक्षा प्राप्त करने के लिए पहुंचे तो सूर्यदेव ने हनुमान जी की ज्ञान पिपासा की परीक्षा लेने के लिए पहले उन्हें शिक्षा देने में टालमटोल किया. सूर्य देव ने कहा कि मैं तो एक जगह रुक कर नहीं रहता हूं, पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता रहता हूं. अध्ययन के लिए गुरु-शिष्य का एक साथ आमने-सामने बैठना जरूरी है ऐसे में मैं तुम्हें कैसे पढ़ा पाऊंगा. इस पर हनुमान जी ने कहा था कि मैं आपसे ही शिक्षा ग्रहण करूंगा. हनुमान जी की दृढ़ता देख सूर्य देव प्रसन्न हुए. सूर्य देव को हनुमान जी जैसा भक्त भी भला कौन मिलता, इसके बाद सूर्य देव ने उन्हें शिक्षा दी. सूर्य देव से हनुमान जी ने नौ विद्याएं भी प्राप्त कीं. कहा जाता है कि अध्ययन करने के लिए हनुमान जी सूर्य देव के सामने उनके रथ के समान ही तेज गति से चलते और इस तरह भगवान हनुमान ने शिक्षा प्राप्त की.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)