Devshayani Ekadashi 2022: प्रत्येक साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी यानि देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) से अगले चार महीनों के लिए भगवान विष्णु (Lord Vishnu) निद्रा में चले जाते हैं. इस साल देवशयनी एकादशी 10 जुलाई को यानी आज है. इस बार इस दिन से चातुर्मास (Chaturmas) शुरू हो जाएगा. चातुर्मास (Chaturmas) में शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. लेकिन ऐसा क्यों है कि भगवान विष्णु के सोने पर मांगलिक और शुभ कार्य क्यों नहीं किए जाते हैं. आइए जानते हैं इस बारे में.
भगवान विष्णु के सोने पर क्यों नहीं होते हैं शुभ कार्य
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक आषाढ़ मास (Ashadha Month 2022) में ही देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) पड़ती है. आमतौर पर इस मास से वर्षा ऋतु का आगमन हो जाता है. वर्षा ऋतु के आगमन से सामान्य जन-जीवन थोड़ा अस्त-व्यस्त हो जाता है. घर से बाहर के कार्यों में वर्षा बाधा पहुंचाती है. इसलिए मांगलिक कार्य करना थोड़ा कठिन हो जाता है.
मौसम में बदलाव होने के कारण शरीर कई रोगों से मुकाबला कर रहा होता है. जिससे रोगों से लड़ने की प्रतरोधक क्षमता क्रमशः कम होती जाती है. ऐसे में इस दौरान आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति के लिए 4 महीने भगवान की उपासना बेहद लाभकारी साबित होती है.
Surya Rashi Parivartan 2022: इन 3 राशियों के आएंगे अच्छे दिन, सूर्य देव की रहेगी विशेष कृपा
माना जाता है कि चातुर्मास के 4 महीने में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ने लगता है. दरअसल धार्मिक मान्यता है कि देव शयन के बाद शुभ शक्तियां क्षीण होने लगती हैं. इसलिए ऐसा कहा जाता है इस दौरान देवताओं की पूजा करनी चाहिए ताकि शरीर और मन पर बुरी शक्तियों का प्रभाव ना पड़े.
चातुर्मास में रखा जाता है इन बातों का ध्यान
चातुर्मास (Chaturmas) के दौरान खान-पान का खास ख्याल रखा जाता है. इस दौरान सात्विक भोजन का सेवन करना शुभ माना जाता है. साथ ही इस अवधि में मांस-मदीरा और अन्य नशिली चीजों का सेवन करने से परहेज करना चाहिए.
वर्षा ऋतु का आरंभ होने के कारण सूर्य की किरणें पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाती हैं. जिस कारण शरीर में ऊर्जा की कमी होने लगती है. जिस बरकरार रखने के लिए इस दौरान व्यायाम करना अच्छा होता है.
इस राशि पर चल रहा है शनि साढ़ेसाती का कष्टकारी चरण, जानें इससे बचने के लिए क्या करना होता है अच्छा
चातुर्मास में मांगलिक कार्य जरूर नहीं होते, लेकिन इस अवधि में व्रत और पूजन करना अत्यंत शुभफलदायी माना गया है. मान्यता है कि इस अवधि में की गई पूजा-पाठ से दोगुना फल प्राप्त होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)