Dattatreya Jayanti 2025: दत्तात्रेय जयंती कब है? जानें सही तारीख, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Dattatreya Jayanti 2025 Kab Hai: दत्तात्रेय भगवान कौन हैं? सनातन परंपरा में इन्हें किसका अवतार माना जाता है? दत्तात्रेय भगवान की जयंती दिसंबर महीने में कब मनाई जाएगी और कैसे करें उनकी पूजा, विस्तार से जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

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Dattatreya Jayanti 2025: दत्तात्रेय जयंती की पूजा विधि और धार्मिक महत्व 
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Dattatreya Jayanti 2025 Significance: सनातन परंपरा में मार्गशीर्ष पूर्णिमा को अत्यंत ही शुभ और पुण्यदायी माना गया है क्योंकि इसी दिन परमपिता ब्रह्मा जी, जगत के पालनहार भगवान विष्णु और कल्याण के देवता माने वाले भगवान शिव के संयुक्त अवतार भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था. इस साल भगवान दत्तात्रेय की जयंती 04 दिसंबर 2025, बुधवार के दिन मनाई जाएगी. हिंदू मान्यता के अनुसार दत्तात्रेय जयंती के दिन उनकी विधि-विधान से पूजा करने पर त्रिदेव की पूजा का पुण्यफल प्राप्त होता है. आइए हिंदू धर्म में भगवान दत्तात्रेय की पूजा का धार्मिक महत्व और उनकी पूजा की विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं. 

दत्तात्रेय जयंती का शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार जिस मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि को भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाई जाती है वह 04 दिसंबर 2025, बुधवार के दिन प्रात:काल 08:37 बजे प्रारंभ होकर अगले दिन 05 दिसंबर 2025, गुरुवार वाले दिन सुबह 04:43 बजे समाप्त होगी. ऐसे में यह पावन पर्व 04 दिसंबर 2025 को ही मनाया जाना उचित रहेगा. 

कैसे करें भगवान दत्तात्रेय की पूजा 

हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान दत्तात्रेय की जयंती वाले दिन उनकी पूजा करने के लिए साधक का सूर्योदय से पहले उठकर स्नानध्यान करना चाहिए. तन-मन से पवित्र होने के बाद व्यक्ति को भगवान दत्तात्रेय के मंदिर में जाकर या फिर अपने घर के पूजा स्थान पर भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति या चित्र पर सबसे पहले गंगाजल अर्पित करना चाहिए. इसके बाद पुष्प, चंदन, धूप, दीप, फल, मिष्ठान, आदि अर्पित करते हुए उनकी विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. दत्तात्रेय जंयती के दिन साधक को भगवान दत्तात्रेय के मंत्र का विशेष रूप से जप करना चाहिए. 

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भगवान दत्तात्रेय की पूजा के लाभ

हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान दत्तात्रेय की पूजा अत्यंत ही शुभ और फलदायी मानी गई है. मान्यता है कि अपने भक्तों के सुमिरन करने मात्र पर ही प्रसन्न होकर भगवान दत्तात्रेय उन पर अपनी पूरी कृपा बरसाते हैं. यही कारण है कि उन्हें स्मृतिगामी देवता भी कहा जाता है. उनके साधक उन्हें दत्त भगवान भी कहते हैं. भगवान दत्तात्रेय ने मानव जीवन में सद्गुरु की महत्ता को बताया है. उनके अनुसार बगैर सद्गुरु के ज्ञान नहीं मिल सकता और न ही परमपिता परमेश्वर की प्राप्ति संभव है. हिंदू धर्म से जुड़े तमाम साधु-सन्यासी मुख्य रूप से भगवान दत्तात्रेय की पूजा करते हैं. जूना अखाड़े के आराध्य देवता भगवान दत्तात्रेय ही हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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