Chhath Puja 2024: नहाय खाय से लेकर खरना और सूर्य को अर्घ्य देने की सही तिथि जानें यहां

Kharna Date: इस साल छठ पूजा की तिथि को लेकर खासा उलझन की स्थिति बन रही है. ऐसे में यहां जानिए किस तारीख पर खरना है और कब दिया जाएगा सूर्य देव को अर्घ्य.

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Chhath Puja Date: छठ पूजा का पूरा टाइम टेबल देखें यहां.

Chhath Puja 2024: यूपी बिहार और पूर्वांचल का प्रसिद्ध छठ पर्व साल के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. कहते हैं कि छठी मैया की पूजा-अर्चना करने और व्रत करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है और साथ ही संतान की आयु लंबी होती है. यह त्योहार हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से शुरू होता है. इस साल छठ की सही तिथि को लेकर कंफ्यूजन की स्थिति बन रही है. ऐसे में अगर आपको छठ पूजा की तिथि (Chhath Puja Date) को लेकर जरा भी उलझन है या आप जानना चाहते हैं कि कब नहाय खाय (Nahay khay), खरना और सूर्य को अर्घ्य दिया तो यहां देखिए सभी दिनों की पुरी सूची. 

Chhath Puja 2024: शुरू हो चुका है सूर्य उपासना का महापर्व, जानें हर दिन की पूजा विधि और महत्व

नहाय खाय से लेकर सूर्य अर्घ्य तक की तिथि

नहाय खाय

छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है, जो इस बार 5 नवंबर, मंगलवार के दिन मनाया जाएगा. इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं नदी या तालाब में स्नान करती हैं और बिना प्याज लहसुन वाला सात्विक भोजन करती हैं. इस दिन कद्दू भात (Kaddu Bhat) बनाने का विशेष महत्व होता है.

खरना

नहाय खाय के बाद दूसरे दिन खरना मनाया जाता है. यह दिन इस बार 6 नवंबर यानी कि बुधवार के दिन पड़ रहा है. इस दिन गुड़ और चावल की खीर बनाकर छठी मैया को भोग स्वरूप अर्पित की जाती है और इसे खाने के बाद ही व्रत करने वाली महिलाएं निर्जला उपवास की शुरुआत करती हैं.

संध्या अर्घ्य

छठ पूजा में उगते और ढलते सूरज को अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है. छठ पूजा में संध्या अर्घ्य की तिथि 7 नवंबर 2024 यानी कि गुरुवार के दिन है. यह छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है. व्रत करने वाली महिलाएं सूर्यास्त के समय नदी के किनारे जाकर सूर्य देव (Surya Dev) को अर्घ्य देती हैं.

ऊषा अर्घ्य और पारण

ऊषा अर्घ्य और पारण की तिथि 8 नवंबर, शुक्रवार के दिन है. इस दिन छठ पूजा का अंतिम दिन होता है और उगते सूरज को महिलाएं अर्घ्य देती हैं. इसके बाद व्रत का पारण किया जाता है. व्रत के पारण के साथ ही छठ पूजा का प्रसाद बांटा जाता है और सूर्य देव का आशीर्वाद लेकर उन्हें प्रणाम किया जाता है. कहते हैं कि यह व्रत करने से घर में दुख दरिद्रता नहीं आती है, सुख शांति का वास होता है और परिजनों को लंबी आयु का वरदान मिलता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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