Chandra Grahan 2022: जल्द लगने वाला है चन्द्र ग्रहण, जानिए किस तरह मां लक्ष्मी को किया जा सकता है प्रसन्न

Chandra Grahan 2022: मान्यतानुसार चन्द्र ग्रहण के दौरान कुछ कामों को करने पर मां लक्ष्मी प्रसन्न हो सकती हैं. जानें कौनसे हैं ये काम और किन बातों का ध्यान रखना है आवश्यक. 

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Chandra Grahan: चन्द्र ग्रहण के दिन मां लक्ष्मी की मिलेगी कृपा. 

Chandra Grahan 2022: चन्द्र ग्रहण का धार्मिक तौर पर भी विशेष महत्व है परंतु इस वर्ष लगने वाले आखिरी चन्द्र ग्रहण का दिन देव दीपावली के तुरंत बाद पड़ रहा है. पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीवाली (Dev Diwali) मनाई जाती है जो 8 नवंबर के दिन होनी थी लेकिन चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) भी 8 नवंबर के दिन ही लगेगा जिस चलते देव दीवाली का पर्व 7 नवंबर के दिन मनाया जाएगा. ऐसे में मान्यतानुसार मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कुछ कार्य किए जा सकते हैं. जानिए चंद्र ग्रहण के दिन कैसे करें दिन की शुरूआत और किन बातों का रखें ख्याल जिनसे मां लक्ष्मी का चित खुश हो और वे भक्तों की मान्यताएं पूर्ण करें. 

चंद्र ग्रहण के दिन लक्ष्मी उपाय | Lunar Eclipse Lakshmi Upay 


मान्यतानुसार इस दिन ग्रहण का सूतक काल लगेगा. धार्मिक आधार पर ग्रहण के दौरान कुछ कार्यों को करने की मनाही होती है और इसे ही सूतक काल कहा जाता है. पहला कार्य यही है कि सूतक काल में किसी मांगलिक कार्य को संपन्न ना करें और प्रयास करें कि यह समय शांति और संयम से बीते. 

  • मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) को प्रसन्न करने के लिए इस दिन सुबह उठकर निवृत्त होने के पश्चात स्नान करें. 
  • स्नान के पश्चात पीले कपड़े धारण किए जा सकते हैं. 
  • पूजा की थाली लें और उसके बीचोंबीच स्वास्तिक या ओम बनाएं. 
  • अब मान्यतानुसार पूजा के स्थान पर चौकी लगाएं और इस थाल को चौकी पर रखें और इसके ऊपर महालक्ष्मी यंत्र या श्रीयंत्र की स्थाप्ना करें. 
  • पूजा की थाली में श्रीयंत्र के साथ ही शंख स्थापित करें. शंख के लिए दूसरी थाली ली जा सकती है. 
  • अब शंख वाली थाली में घी का दीया जलाएं जिससे यह पूजा की थाली लगने लगे. इस थाली में मुट्ठी भर चावल और कुछ केसर के छल्ले रखे जा सकते हैं. 
  • माला लेकर 'ॐ पुते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते' मंत्र का जप करना भी शुभ माना जाता है. 
  • मान्यतानुसार इस थाली को चंद्र ग्रहण लगने से पहले मंदिर में रखा जा सकता है और उसके पश्चात किसी नदी या तालाब में विसर्जित किया जाता है. कहते हैं इससे मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाता है और ग्रहण के दिन देव दीवाली ना मनाए जाने पर इसका महत्व और भी बढ़ जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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