Lunar Eclipse 2021: आज बुद्ध पूर्णिमा के दिन 26 मई को साल का पहला चंद्र ग्रहण लग रहा है. आज वैशाख पूर्णिमा भी है, जिसकी वजह से इस ग्रहण का महत्व अधिक बढ़ गया है. आज लगने वाला ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण है. ग्रहण के दौरान चंद्रमा पृथ्वी की अंधेरी छाया से होकर गुजरेगा. लेकिन भारत में यह एक उपछाया चंद्र ग्रहण के रूप में ही दिखाई देगा. यह चंद्र ग्रहण 21 जनवरी 2019 के बाद से पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा. रिपोर्ट्स के अनुसार, आज दिखने वाला चंद्रमा इस साल दिखने वाला सबसे बड़ा चांद होगा.
भारत में किस समय लगेगा चंद्र ग्रहण?
भारतीय समय के अनुसार, चंद्र ग्रहण आज दोपहर 2:17 मिनट पर शुरू हो गया है और शाम 7:19 बजे तक खत्म होगा.
कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण?
चंद्र ग्रहण 2021 उत्तरी/दक्षिण अमेरिका, उत्तरी यूरोप, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अटलांटिक, हिंद महासागर , अंटार्कटिका और प्रशांत महासागर के क्षेत्रों में देखा जा सकेगा. हालांकि भारत में चंद्र ग्रहण उपछाया की तरह ही दिखेगा.
क्या भारत में भी दिखेगा चंद्र ग्रहण?
26 मई यानी आज दिखने वाला चंद्र ग्रहण एक उपछाया चंद्र ग्रहण होगा, जिसके चलते हो सकता है कि आप भारत में इसे ठीस से देख न पाएं. लेकिन अगर आप इसे देखना चाहते हैं तो बता दें कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ग्रहण के वीडियो और फोटो साझा करती है. इसके अलावा भी कुछ वेबसाइट ग्रहण का लाइव स्ट्रीमिंग करती हैं, जिसकी मदद से आप इस घटना को देख सकते हैं. वहीं, ऐसी भी रिपोर्ट्स हैं कि पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों के लोग आंशिक चंद्र ग्रहण का आखिरी हिस्सा देख सकेंगे.
कितने प्रकार के होते हैं चंद्र ग्रहण?
चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं
- पूर्ण चंद्र ग्रहण
- आंशिक चंद्र ग्रहण
- उपछाया चंद्र ग्रहण
उपछाया ग्रहण क्या होते है?
पूर्ण और आंशिक ग्रहण के अलावा एक उपछाया ग्रहण भी होता है. चंद्रमा जब पृथ्वी की वास्तविक छाया में नहीं आता है और उसकी उपछाया से ही बाहर निकल जाता है, ऐसे ग्रहण को उपछाया ग्रहण कहते हैं. उपछाया ग्रहण को वास्तविक चंद्र ग्रहण नहीं माना जाता है. इस ग्रहण में चंद्रमा के रंग और आकार में भी कोई बदलाव नहीं होता है. हालांकि, इसमें चंद्रमा पर एक धुंधली सी छाया नजर आती है.
बता दें कि कोई भी चन्द्र ग्रहण जब भी आरंभ होता है तो ग्रहण से पहले चंद्रमा पृथ्वी की परछाई में प्रवेश करता है, जिससे उसकी छवि कुछ मंद पड़ जाती है तथा चंद्रमा का प्रभाव मलीन पड़ जाता है. जिसे उपच्छाया कहते हैं. इस दिन चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक कक्षा में प्रवेश नहीं करेंगे अतः इसे ग्रहण नहीं कहा जाएगा.
वास्तविक चंद्र ग्रहण क्या है?
चंद्रमा और सूरज के बीच जब पूरी तरह से पृथ्वी आ जाती है और सूरज की रोशनी को चंद्रमा तक पहुंचने से रोक देती है तो इसे वास्तविक चंद्र ग्रहण कहा जाता है. इस स्थिति में चंद्रमा की सतह पूरी तरह से लाल हो जाती है.
कैसे लगता है ग्रहण?
यह एक खगोलीय घटना है. इस दौरान चंद्रमा और सूरज के बीच पृथ्वी आ जाती है और सूरज की रोशनी चांद पर नहीं पड़ पाती है. ऐसे में पृथ्वी की छाया चांद पर पड़ती है. चंद्र ग्रहण को लोग चाहें तो नंगी आंखों से देख सकते हैं लेकिन सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से देखने पर नुकसान पहुंच सकता है.
क्या होता है ब्लड मून?
ग्रहण के दौरान चंद्रमा के लाल और नारंगी रंग के दिखने के कारण पूर्ण चंद्र ग्रहण को अक्सर ब्लड मून कहा जाता है. ब्लड मून तब दिखाई देता है, जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में छिप जाता है और आकाश में लाल रंग की रोशनी नज़र आती है. वहीं, सुपरमून शब्द का मतलब चंद्रमा का सामान्य से बड़ा दिखना होता है.