चैत्र नवरात्रि पर कलश स्थापना के लिए बन रहा है 50 मिनट का शुभ मुहूर्त, नोट कर लीजिए समय 

Chaitra Navratri Kalashsthapana: चैत्र माह में पड़ने वाली नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि कहा जाता है. यहां जानिए इस साल चैत्र नवरात्रि कब से शुरू हो रही है और चैत्र नवरात्रि पर किस शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना की जा सकती है. 

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Chaitra Navratri Kalashsthapana Shubh Muhurt: चैत्र नवरात्रि पर किस मुहूर्त में करें कलश स्थापना. 

Chaitra Navratri 2025: हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूरे मनोभाव से पूजा की जाती है. माना जाता है कि नवरात्रि पर पूजा(Navratri Puja) करने से माता रानी भक्तों से प्रसन्न होती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. जीवन से कष्टों के निवारण और घर में खुशहाली के लिए भक्त देवी का पूजन करते हैं. इस साल चैत्र नवरात्रि कब से शुरू हो रही है, किस शुभ मुहूर्त घट स्थापना (Ghatasathapana) की जा सकती है और किस तरह नवरात्रि के पहले दिन माता रानी का पूजन करें, जानिए यहां. 

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चैत्र नवरात्रि की कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त | Chaitra Navratri Kalashsthapana Shubh Muhurt 

पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है. साल 2025 में चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च, दोपहर 4 बजकर 27 मिनट से शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 30 मार्च की दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर हो जाएगा. उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए नवरात्रि का व्रत रखा जाता है. इसीलिए चैत्र नवरात्रि का पहला व्रत 30 मार्च, रविवार के दिन रखा जाएगा और इसी दिन कलशस्थापना की जाएगी. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री (Ma Shailputri) की पूजा की जाती है.

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इस साल घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 30 मार्च की सुबह 6 बजकर 13 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. इस समयावधि में कलशस्थापना की जा सकती है. लेकिन, कलश स्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त यानी अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 50 मिनट तक रहने वाला है. इस मुहर्त में घटस्थापना करना अत्यधिक लाभकारी होगा. 

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इस तरह करें पूजा संपन्न 

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन पूजा करने के लिए पूजाघर की सफाई करें और चौकी पर लाल कपड़ा बिछा लें. अब मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं. कलशस्थापना के लिए कलश लेकर उसमें गंगाजल भरें और उसमें दूर्वा घास, सिक्के और सपारी डालकर कलश को जौ के बर्तन के ऊपर रख दें. इसके बाद मां दुर्गा का ध्यान करते हुए कलश को मां दुर्गा के समक्ष रख दें. नौ दिनों तक कलश माता की चौकी पर सजा रहता है. 

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माता की पूजा करने के लिए उनके समक्ष पूजा की सामग्री (Puja Samagri) अर्पित करें, आरती करें, मंत्र पढ़ें और भोग लगाकर पूजा का समापन करें. पूजा की सामग्री में लाल कपड़ा, दीया, कलावा, फूल, फल, गुड़, हल्दी की गांठ, सिंदूर, मिठाई, अक्षत, नारियल, गंगाजल, अगरबत्ती और पंचामृत आदि शामिल किए जाते हैं.  

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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