Bhaum Pradosh Vrat: जनवरी में इस दिन रखा जाएगा भौम प्रदोष व्रत, इस कथा को पढ़ना माना जाता है शुभ

Pradosh Vrat 2024: जनवरी के महीने में एक नहीं बल्कि दो भौम प्रदोष व्रत पड़ रहे हैं. जानिए किस दिन रखे जाएंगे भौम प्रदोष व्रत और क्या है इस दिन की कथा. 

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Bhaum Pradosh Vrat Katha: मंगलवार के दिन रखे जाने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहते हैं. 

Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. माना जाता है कि जो भक्त भगवान भोलेनाथ के लिए प्रदोष व्रत रखते हैं उनके जीवन में खुशहाली आती है, आरोग्य का वरदान मिलता है और कष्टों से मुक्ति मिलती है सो अलग. लंबी आयु और घर-परिवार की सुख-शांति के लिए भी भौम प्रदोष व्रत रखा जाता है. मान्यतानुसार आने वाली जनवरी के महीने में 9 जनवरी, मंगलवार और 23 जनवरी, मंगलवार के दिन भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) रखे जाएंगे. हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है. इस दिन की कथा की भी विशेष मान्यता है. माना जाता है कि भौम प्रदोष व्रत की कथा पढ़ना बेहद शुभ होता है और महादेव (Lord Shiva) की शुभ कृपादृष्टि भी जातक पर पड़ती है. 

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भौम प्रदोष व्रत की कथा | Bhaum Pradosh Vrat Katha 

पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब एक नगर में एक ब्राह्मणी वृद्धा रहा करती थी जिसका एक पुत्र भी था. ब्राह्मणी अपना पालक प्रतिदिन भिक्षा मांगकर किया करती थी. ब्राह्मणी कई सालों से प्रदोष व्रत रखती आ रही थी और भगवान शिव की भक्त थी. उसके पुत्र ने एक बार त्रयोदशी तिथि के दिन गंगा स्नान किया और फिर जब घर लौट रहा था तो उसका सामना कुछ लुटेरों से हुआ. लुटेरों ने उसका सारा सामान छीन लिया और फिर फरार हो गए. उसी समय कुछ सैनिक वहां पहुंचे और ब्राह्मणी के पुत्र को लुटेरा समझकर अपने साथ ले गए. राजा ने उसके पुत्र की एक ना सुनी और उसे कारागार में बंद कर दिया. इसके बाद माना जाता है कि रात्रि में राजा के सपने में भगवान शिव आए और ब्राह्मणी के पुत्र को मुक्त करने का आदेश देकर चले गए. 

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राजा भागा-भागा ब्राह्मणी के पुत्र को रिहा करने के लिए पहुंचा. वहां जाकर उसने युवक को रिहा किया और कुछ भी दान में मांगने के लिए कहा. इसपर ब्राह्मणी के पुत्र ने केवल एक मुट्ठी धान मांग लिया. युवक ने कहा कि उसकी मां इस धान से भोग तैयार करके भगवान शिव को अर्पित करेंगी. यह सुनकर राजा प्रसन्न हुए और ब्राह्मणी के पुत्र की प्रशंसा करते हुए उसे अपने सलाहकार के रूप में नियुक्त किया. इसके बाद से ही ब्राह्मणी और उसके पुत्र का जीवन बदल गया. कहते हैं यह हर त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखने के चलते ही हुआ है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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