भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी व्रत में किया जाता है भगवान गणेश का पूजन, माना जाता है इस विधि से पूजा करने पर मिलती है सुख-समृद्धि 

Bhalchandra Sankashti Chaturthi: माना जाता है कि इस दिन गणपती बप्पा की पूरे मन से पूजा करके भक्त अपने सभी कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं.

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Sankashti Chaturthi पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है.

आज भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी ( Bhalchandra Sankashti Chaturthi) है. चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाने वाली भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी पर भक्त अपने आराध्य गणेश (Lord Ganesha) की पूजा-अर्चना करते हैं. माना जाता है कि इस दिन यदि पूरे मन और श्रद्धाभाव से गणपती बप्पा (Ganpati Bappa) का पूजन किया जाए तो वे हर मनोकामना पूरी करते हैं. इतना ही नहीं, इस दिन को कार्य में सफलता और घर में सुख-समृद्धि के लिए बेहद शुभ माना जाता है. 

भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी पूजा मुहूर्त 


हिन्दू पंचांग के अनुसार भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त 21 मार्च, सोमवार सुबह 8 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर 22 मार्च, मंगलवार को खत्म होगा. वहीं, इस दिन चंद्र देवता को अर्क भी दिया जाता है. इसका समय 8  बजकर 23 मिनट बताया जा रहा है. 

भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि 

मान्यताओं के अनुसार इस दिन सुबह उठकर स्नान किया जाता है. स्नान के बाद भगवान गणेश की पूजा होती है. पूजा में गणेश भगवान की आरती गायी जाती है. इसके बाद उन्हें तिल, गुड़, चन्दन और सिंदूर चढ़ाया जाता है. व्रत रखने वाले लोग पूरे मनभाव से ध्यानकेन्द्रित कर व्रत रखते हैं और भगवान गणेश की आराधना में लीन रहते हैं. रात में चांद निकलने पर चंद्रमा को अर्क देना शुभ माना जाता है. 

कहते हैं जो भक्त इस विधि से गणपती बप्पा की पूजा करते हैं उन्हें जीवन में तरक्की मिलती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश भगवान को किसी भी कार्य से पहले याद किया जाता है और उनकी पूजा की जाती है. वे मंगलकारी व विघ्नहर्ता माने जाते हैं जिसके चलते भक्त भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी (Bhalchandra Sankashti Chaturthi) पर व्रत रख भगवान गणेश को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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